'फकीर बनकर लड़ा था लोकसभा चुनाव, जीतने की 100 परसेंट नहीं थी गारंटी', सुप्रिया सुले का बड़ा दावा

Supriya Sule: NCP (शरद पवार) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि उन्होंने लोकसभा का चुनाव एक फकीर की तरह लड़ा था. उनके जीतने के 100 फीसदी गुंजाइश नहीं थी.

ANI
India Daily Live

Supriya Sule: शरद पवार की अगुवाई वाली NCP की की कार्यकारी अध्यक्ष और बारामती सीट से सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा चुनाव के अनुभव को साझा किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें एक फकीर की तरह चुनाव लड़ा. उनके जीतने की 100 फीसदी गारंटी नहीं थी. लोकसभा में उनका मुकाबला उनका मुकाबला उनके भाभी सुनेत्रा से था, जो उनके चचेरे भाई, डिप्टी सीएम और बारामती के विधायक अजित पवार की पत्नी हैं. 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले बारामती एक राजनीतिक हॉट सीट है और राज्य में इस सीट पर काफी चर्चा हो रही है. इसी साल के अंत में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां जनता को अपनी तरफ करने के लिए हर एक हथकंडे अपना रही हैं. 

तमाम मुश्किलों के खिलाफ लड़ी थी लोकसभा का चुनाव

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बंटवारे के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं. खासकर पवार परिवार के गढ़ पुणे जिले की राजनीति ने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान पवार परिवार में राजनीतिक विभाजन के बाद अपना रुख बदल दिया.

न्यूज एजेंसी पीटीई की एक रिपोर्ट के अनुसार सुप्रिया सुले ने कहा, "अपने चुनाव में मुझे 100 प्रतिशत यकीन नहीं था कि मैं जीत पाऊंगी क्योंकि मैं तमाम मुश्किलों के खिलाफ लड़ रही थी. मैंने एक फकीर की तरह लड़ाई लड़ी." 

अलग-अलग चुनाव चिन्ह देने की मांग की

सुले ने एनसीपी में विभाजन का हवाला देते हुए कहा कि उनकी पार्टी और उसका चुनाव चिन्ह उनसे छीन लिया गया. पिछले सप्ताह सुप्रिया सुले ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वह NCP की दोनों गुटों को एक समान ट्रीट करे. सुले की टिप्पणी तब आई जब उनकी पार्टी ने सर्वोच्च न्यायालय से "प्राकृतिक न्याय" की मांग की.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले शरद पवार गुट के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें अजित पवार के समूह को 'घड़ी' चिह्न का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था, यह तर्क देते हुए कि इससे समान अवसर बाधित होता है. सुले ने प्रतीकों के बारे में स्पष्टता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आगामी महाराष्ट्र चुनावों से पहले दोनों गुटों को अलग-अलग प्रतीक मिलने चाहिए.