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India Daily

SC on Stray Dogs: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के भविष्य पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा ऐतिहासिक फैसला, एनिमल वेलफेयर ग्रुप्स ने जताया था विरोध

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दिल्ली और एनसीआर के चार जिलों नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में आवारा कुत्तों से जुड़ा 8 अगस्त के आदेश पर अपना अंतिम फैसला सुनाएगा.

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Edited By: Garima Singh
Supreme Court Stray Dogs
Courtesy: X

Supreme Court Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दिल्ली और एनसीआर के चार जिलों नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में आवारा कुत्तों से जुड़ा 8 अगस्त के आदेश पर अपना अंतिम फैसला सुनाएगा. इस आदेश में नगर निगम अधिकारियों को सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर डॉग सेलटर में रखने का निर्देश दिया गया था. इस मामले में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ यह तय करेगी कि आदेश को निलंबित, संशोधित या वैसे ही रखा जाए.

8 अगस्त को न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और एनसीआर के नागरिक निकायों को आठ हफ्ते में सभी आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें डॉग सेलटर में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था. आदेश में 5,000 से अधिक कुत्तों की क्षमता वाले डॉग सेलटर स्थापित करने और कुत्तों को सड़कों पर न छोड़ने की बात कही गई थी. 11 अगस्त को जारी लिखित आदेश में पशु कल्याण उपायों को शामिल किया गया, जिसमें आश्रय स्थलों में कुत्तों के लिए भोजन, चिकित्सा देखभाल और गोद लेने की प्रक्रिया को भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की शर्तों के तहत सुनिश्चित करने का निर्देश था.

पशु कल्याण समूहों ने दर्ज कराइ थी आपत्ति

आदेश के बाद पशु कल्याण संगठनों ने इसे क्रूर बताते हुए कड़ा विरोध किया. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा ने तर्क दिया कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उनके मूल स्थान पर छोड़ने का प्रावधान करते हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि बड़े पैमाने पर आश्रय स्थलों में स्थानांतरण क्रूरता को बढ़ावा देगा. सिब्बल ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “दिल्ली में हाल के वर्षों में कुत्तों के काटने से कोई मौत नहीं हुई है,” जिससे आदेश के तथ्यात्मक आधार पर सवाल उठे.

दिल्ली सरकार और कोर्ट की चिंता

सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और नगर निकायों की आलोचना की, जिसमें कहा गया, “आप कानून और नियम तो बनाते हैं, लेकिन उन्हें लागू नहीं करते.” कोर्ट ने मानव सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों को नुकसान होने की बात कही. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जन सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा, “कुत्तों को मारना समाधान नहीं है, लेकिन उनकी नसबंदी और आश्रय में मानवीय व्यवहार जरूरी है.” वहीं, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे ने आश्वासन दिया कि प्रशासन सभी निर्देशों का पालन करेगा.

क्यों लिया कोर्ट ने इतना बड़ा फैसला?

यह मामला तब शुरू हुआ जब एक छह साल की बच्ची की कुत्ते के काटने से रेबीज के कारण मौत हो गई. कोर्ट ने कुत्तों के काटने की घटनाओं को “चिंताजनक पैटर्न” करार दिया और स्थानीय एजेंसियों की नाकामी पर सवाल उठाए. अब सभी की नजरें शुक्रवार के फैसले पर टिकी हैं, जो दिल्ली और एनसीआर में आवारा कुत्तों के भविष्य को तय करेगा.