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Supreme Court: 2 से अधिक बच्चे हुए तो नहीं मिलेगी नौकरी, SC ने राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला रखा बरकरार

Supreme Court: राजस्थान में दो से ज्यादा बच्चों वाले लोग सरकारी नौकरियां में आवेदन करने के हकदार नहीं होंगे. राज्य सरकार के 1989 के इस कानून को अब सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी देते हुए कहा कि राजस्थान सरकार की ओर से बनाया गया यह नियम गैर-भेदभावपूर्ण है और संविधान का उल्लंघन नहीं करता है.

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Edited By: India Daily Live
Supreme Court

Supreme Court: दो से अधिक बच्चे होने पर एक उम्मीदवार को पुलिस कांस्टेबल पद पर आवेदन करने से अयोग्य करार देने के राजस्थान सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. कोर्ट ने माना कि राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम 1989 का नियम 24(4), जो यह प्रावधान करता है कि कोई भी उम्मीदवार सेवा में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा जिसके 01.06.2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हैं गैर-भेदभावपूर्ण है और संविधान का उल्लंघन नहीं करता.

जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि जो दो से अधिक जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने का फैसला गैर-भेदभावपूर्ण और संविधान के दायरे से बाहर है, क्योंकि इसके प्रावधान के पीछे का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है. उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उम्मीदवार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सिविल अपील दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने अभ्यर्थी की इस दलील को खारिज कर दिया कि पहले ऐसे नियम थे. तीन जजों की बेंच ने अपने आदेश में 12 अक्टूबर 2022 के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि राजस्थान सरकार का नियम नीति के दायरे में आता है और इसमें हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.

पंचायत चुनाव लड़ने के लिए भी इसी तरह के नियम

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के उस फैसले को जायज ठहराया, जिसमें पूर्व सैनिक (रक्षा सेवाओं से सेवानिवृत्त) की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने राजस्थान राज्य में पुलिस कांस्टेबल की नौकरी के लिए आवेदन किया था. उसकी उम्मीदवारी को राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के नियम 24(4) के तहत इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि चूंकि 01 जून 2002 के बाद उसके दो से अधिक बच्चे हैं लिहाजा वह इस नौकरी के लिए अयोग्य है. बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव लड़ने के लिए भी इसी तरह के नियम को अपनी मंजूरी दी थी. ऐसा ही प्रावधान पंचायत चुनाव लड़ने के लिए पात्रता शर्त के रूप में भी है. उसे भी सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था.  इस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी देते हुए कहा कि ये सरकार के नीति बनाने के अधिकार क्षेत्र में आता है.