SC Advice to West Bengal Government: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारियों को खुशखबरी दी है. अदालत की ओर से शुक्रवार को ममता सरकार को अपने कर्मचारियों का 25 फीसदी डीए यानी महंगाई भत्ता तीन महीने के भीतर बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया यह निर्देश केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ डीए समानता को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई का हिस्सा है.
जस्टिस संजय करोल और संदीप मेहता की पीठ ने निर्देश पारित करते हुए मामले को अगस्त में आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया. यह मामला 2022 के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले से उपजा है, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार को डीए भुगतान को केंद्रीय दर के अनुरूप लाने का निर्देश दिया गया था.
पश्चिम बंगाल के कर्मचारियों ने 2022 में बढ़ती महंगाई और वित्तीय कठिनाई का हवाला देते हुए समानता की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था. अभी के समय में केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 55 प्रतिशत डीए देती है. वहीं पश्चिम बंगाल सरकार अपने कर्मचारियों को अप्रैल 2025 में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद भी केवल 18 प्रतिशत डीए दे रहा है. राज्य सरकार ने नवंबर 2022 में उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इसी मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने यह फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुरू में राज्य को बकाया राशि का 50 प्रतिशत भुगतान करने का निर्देश दिया था, लेकिन सिंघवी की दलीलों के बाद अंतरिम उपाय के रूप में 25 प्रतिशत पर समझौता किया गया. इसके बाद अब कर्मचारियों के महंगाई भत्ता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि पश्चिम बंगाल के कर्मचारियों के लिए यह बड़ी जीत बताया. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए ममता सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा कि अगर पिछले कुछ सालों में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके करीबियों ने सरकारी खजानों को इस तरीके से लूटा है कि कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए भी पैसा नहीं रहा. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि ममता सरकार राज्य में पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा करने में भी विफल रहा है.