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India Daily

इस राज्य में हिंदी फिल्मों-गानों पर बैन लगाने की तैयारी, जानें कौन सी सरकार ला रही है नया विधेयक

राज्य सरकार की ओर से अभी तक इस विधेयक पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है लेकिन कानूनी विशेषज्ञों के साथ हालिया बैठकें और विधानसभा सत्र के अंतिम दिनों में इसकी पेशी की अटकलें जोर पकड़ रही हैं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
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Courtesy: Social Media

Tamil Nadu: मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम (डीएमके) सरकार विधानसभा में हिंदी भाषा के अनियंत्रित उपयोग पर रोक लगाने वाला एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की तैयारी में जुटी हुई है. सूत्रों के अनुसार, यह विधेयक राज्य में हिंदी के माध्यम से होर्डिंग्स, साइनबोर्ड, फिल्मों और संगीत पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान करेगा, जिसे तमिल भाषा और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा के रूप में देखा जा रहा है.

हालांकि, राज्य सरकार की ओर से अभी तक इस विधेयक पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है लेकिन कानूनी विशेषज्ञों के साथ हालिया बैठकें और विधानसभा सत्र के अंतिम दिनों में इसकी पेशी की अटकलें जोर पकड़ रही हैं. डीएमके के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हमारा उद्देश्य संविधान का उल्लंघन करना नहीं है. हम पूर्णतः उसके दायरे में रहते हुए तमिलनाडु की भाषाई विविधता को मजबूत बनाना चाहते हैं. हिंदी को एक भाषा के रूप में स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं, लेकिन केंद्र द्वारा इसे जबरन थोपने का प्रयास अस्वीकार्य है."

दशकों पुराना संघर्ष
तमिलनाडु का हिंदी विरोध कोई नई बात नहीं है. आजादी के बाद से ही यह राज्य भाषाई अस्मिता के मुद्दे पर संवेदनशील रहा है. 1930-40 के दशक में द्रविड़ आंदोलन के दौरान ही हिंदी थोपने के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. डीएमके के संस्थापक सी.एन. अन्नादुराई ने इस आंदोलन को मजबूती प्रदान की थी. 1960 के दशक में केंद्र सरकार के तीन-भाषा फॉर्मूले को लागू करने के प्रयासों के विरुद्ध तमिलनाडु में व्यापक आंदोलन चले, जिसमें हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल भी शामिल थी.

हाल के वर्षों में यह विवाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर फिर भड़का. डीएमके का आरोप रहा है कि केंद्र हिंदी और संस्कृत को प्राथमिकता देकर दक्षिणी राज्यों की स्थानीय भाषाओं को हाशिए पर धकेल रहा है. फरवरी 2025 में मुख्यमंत्री स्टालिन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा था, "जबरन हिंदी थोपने से पिछले सौ वर्षों में 25 उत्तरी भारतीय भाषाएं लुप्त हो चुकी हैं. क्या हम तमिल जैसी प्राचीन भाषा को भी इसी खतरे में डालना चाहते हैं?" इसी कड़ी में मार्च 2025 के राज्य बजट में स्टालिन सरकार ने भारतीय रुपए के प्रतीक '₹' को तमिल अक्षर 'ரூ' से बदल दिया, जो भाषाई स्वायत्तता का प्रतीक माना गया.