आज डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर जानें उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें


Km Jaya
2025/10/15 09:07:37 IST

साधारण परिवार में हुआ जन्म

    डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम के एक मछुआरों के परिवार में हुआ था. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के वजह से पढ़ाई के साथ वे अखबार भी बांटते थे.

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40 से अधिक डॉक्टरेट उपाधियां

    कलाम ने केवल भौतिकी में स्नातक तक की पढ़ाई की थी. बावजूद इसके उन्हें भारत और विदेश के 30 से ज्यादा विश्वविद्यालयों ने 40 मानद डॉक्टरेट की उपाधियां दीं.

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भारत के पहले अविवाहित राष्ट्रपति

    डॉ. कलाम भारत के ऐसे पहले राष्ट्रपति थे जिन्होंने शादी नहीं की. वे जीवनभर देश की सेवा में समर्पित रहे और खुद को हमेशा छात्रों का शिक्षक बताया.

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आत्मकथा जो बनी प्रेरणा का स्रोत

    अब्दुल कलाम की आत्मकथा 'विंग्स ऑफ फायर' को 13 भाषाओं में अनुवाद किया गया. उनके जीवन पर कुल 6 आत्मकथाएं लिखी गई हैं. इनका पूरा नाम 'अब्दुल पक्कीर जैनुल आबेदीन अब्दुल कलाम' था.

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जन्मदिवस पर मनाया जाता है विश्व छात्र दिवस

    डॉ. कलाम के योगदान और छात्रों के प्रति उनके प्रेम को देखते हुए 15 अक्टूबर को 'विश्व छात्र दिवस' के रूप में मनाया जाता है. यह दिन उनके जन्मदिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है.

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स्विट्जरलैंड में भी मनाया जाता है साइंस डे

    26 मई को स्विट्जरलैंड में 'साइंस डे' डॉ. कलाम की याद में मनाया जाता है. वर्ष 2005 में जब कलाम पहली बार स्विट्जरलैंड गए थे, उसी दिन को उनके सम्मान में साइंस डे के रूप में घोषित किया गया.

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भारत रत्न से सम्मानित मिसाइल मैन

    कलाम को भारत के तीन सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिले. पद्म भूषण (1981), पद्म विभूषण (1990) और भारत रत्न (1997)। इन सम्मानों ने उनके योगदान को अमर बना दिया.

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मिसाइल मैन बनने की कहानी

    कलाम ने भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) का नेतृत्व किया. उन्होंने DRDO में 'मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम' शुरू किया जिसके तहत 'अग्नि' और 'पृथ्वी' जैसी मिसाइलें बनीं. पोखरण परमाणु परीक्षण में भी उनकी अहम भूमिका रही.

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वैज्ञानिक और संगीत प्रेमी कलाम

    कलाम कुरान और भगवद गीता दोनों पढ़ते थे. उन्हें रुद्र वीणा बजाने का शौक था. वे मानते थे कि विज्ञान और आध्यात्म का संगम ही सच्ची प्रगति है.

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देश के हृदय रोगियों के लिए कलाम-राजू स्टेंट

    कलाम ने हैदराबाद के डॉ. बी. सोमा राजू के साथ मिलकर हृदय रोगियों के लिए एक 'कोरोनरी स्टेंट' विकसित किया, जिसे 'कलाम-राजू स्टेंट' कहा गया. यह चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि रही.

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