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नारियल और प्रसाद की आड़ में आतंकी हमले की साजिश का खतरा, मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर ने दोनों पर लगाया बैन

Siddhivinayak Temple Ban On Prasad: सिद्धिविनायक मंदिर में गुरुवार को भगवान गणेश के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया गया. मंदिर में 'ऑपरेशन सिंधुर' की सफलता के लिए भगवान गणेश का आभार व्यक्त करने के लिए पूजा की गई और विशेष प्रार्थनाएं की गईं.

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Edited By: Anvi Shukla
Siddhivinayak Temple Ban On Prasad
Courtesy: social media

Siddhivinayak Temple Ban On Prasad: प्रभादेवी स्थित प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर ने रविवार से मंदिर परिसर में नारियल और प्रसाद लाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया है, जिसमें संभावित आतंकी हमले की आशंका को देखते हुए यह एहतियातन कदम उठाया गया है.

सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और पूर्व विधायक सदा सर्वंकर ने जानकारी दी कि यह निर्णय मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की सलाह के बाद लिया गया है. उन्होंने कहा, 'नारियल सुरक्षा के लिहाज़ से एक बड़ा सिरदर्द है. हर एक नारियल की जांच करना समय लेने वाला और जटिल होता है. वहीं मिठाइयों में ज़हर मिलाने का भी खतरा है.' मंदिर के बाहर प्रसाद और नारियल बेचने वाले दुकानदारों को भी नए स्टॉक की खरीद बंद करने और दो दिन में पुराना स्टॉक खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं.

क्या चढ़ा सकते हे भक्त?

इस नई व्यवस्था के तहत भक्तगण अब केवल दूर्वा घास और फूलों की छोटी-छोटी गाठें भगवान गणेश को अर्पित कर सकेंगे. भारी फूलों की माला भी प्रतिबंधित कर दी गई है. हालांकि यह प्रतिबंध कब तक लागू रहेगा, इसकी कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं बताई गई है. मंदिर ट्रस्ट द्वारा आज इस प्रतिबंध को लेकर आधिकारिक नोटिस जारी किया जाएगा.

2007 में भी लगा था ऐसा ही प्रतिबंध

गौरतलब है कि सिद्धिविनायक मंदिर को पहले भी आतंकियों के निशाने पर माना गया है. साल 2006 में मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद 2007 में भी मंदिर ने इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद मंदिर की बाहरी दीवार पर क्रैश वॉल भी बनाई गई थी ताकि कोई विस्फोटकों से भरा वाहन मंदिर में न घुस सके.

'ऑपरेशन सिंदूर' के लिए किया गया विशेष पूजन

इस बीच गुरुवार को मंदिर में भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के लिए भगवान गणेश का आभार व्यक्त करते हुए विशेष पूजा का आयोजन किया गया. मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी के नेतृत्व में पूजा हुई, और भगवान के मंच को तिरंगे से सजाया गया