आरजी कर अस्पताल में एक 31 साल की महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए जघन्य बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए संजय रॉय की याचिका पर अब सितंबर में कलकत्ता उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी. संजय रॉय ने अपने खिलाफ दी गई आजीवन कारावास की सजा को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी. उनके वकील का दावा है कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये मामला पिछले साल अगस्त में सामने आया था, जब कोलकाता पुलिस के पूर्व नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार कर बलात्कार और हत्या के आरोपों में दोषी पाया गया था. सियालदह सत्र न्यायालय ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 66 (बलात्कार), 64 (घातक चोट) और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी पाते हुए उन्हें अपना बाकि का जीवन जेल में बिताने की सजा सुनाई थी.
देशभर में फैला था आक्रोश
मामला सामने आने के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया था. कोलकाता में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे और पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन हुए थे. रॉय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कौशिक गुप्ता ने मंगलवार को अदालत को बताया कि असली दोषियों को बचाने के लिए उनके मुवक्किल को फंसाया गया है. उन्होंने कहा, "हमने पहले ही इस सजा के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया है और इसे सितंबर की सूची में शामिल कर लिया गया है."
CBI द्वारा दाखिल अपील पर होगा विचार
यह याचिका अब न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ के सामने रखी जाएगी. इसी के साथ सीबीआई द्वारा दाखिल उस अपील पर भी विचार किया जाएगा जिसमें रॉय की सजा को आजीवन कारावास से बढ़ाकर मृत्युदंड में बदलने की मांग की गई है. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पहले सजा की अवधि पर असंतोष जताया था, जिसके बाद राज्य सरकार और सीबीआई दोनों ने मिलकर फांसी की सजा के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया.