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रूसी सेना में भर्ती होने के नाम पर ठगे गए 6 भारतीय युवाओं की वतन वापसी, PM मोदी ने रूस दौरे पर उठाया था मुद्दा

Russian Army Released Indian Youths: रूसी सेना में भर्ती छह भारतीय युवाओं को रिहा कर दिया गया. ये सभी छह भारतीय आज यानी शुक्रवार सुबह भारत पहुंच गए. रूस की आर्मी की ओर से ये कदम प्रधानमंत्री मोदी की ओर से जुलाई में मास्को यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पुतिन के समक्ष व्यक्तिगत रूप से यह मुद्दा उठाए जाने के कुछ महीने बाद उठाया गया है.

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Edited By: India Daily Live
Russian Army Released Six Indian youths
Courtesy: REUTERS

Russian Army Released Indian Youths: रूसी सेना में भर्ती कम से कम छह भारतीयों को रूस-यूक्रेन सीमा पर स्थित उनके शिविरों से रिहा कर दिया गया है. रिहा किए गए सभी छह भारतीय शुक्रवार यानी आज सुबह भारत लौट गए. पीएम मोदी जुलाई में मास्को गए थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने भारतीयों की रिहाई का मुद्दा उठाया था. 

इनमें कर्नाटक से तीन और तेलंगाना, कश्मीर और कोलकाता से एक-एक व्यक्ति शामिल हैं. एजेंटों की ओर से धोखा दिए जाने के बाद रूसी सेना में काम करने के लिए मजबूर किए गए छह युवक शुक्रवार सुबह भारत लौट आए. इनमें तेलंगाना के नारायणपेट जिले का युवक मोहम्मद सूफियान और गुलबर्गा के तीन युवक (23 वर्षीय मोहम्मद इलियास सईद हुसैनी, 24 वर्षीय मोहम्मद समीर अहमद और 23 वर्षीय नईम अहमद) शामिल हैं.

समीर अहमद के बड़े भाई मुस्तफा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें और कम से कम 55 अन्य लोगों को, जिनमें कई भारतीय भी शामिल हैं, सेवा से मुक्त कर दिया गया. जिस कॉन्ट्रैक्ट पर उन्हें धोखा देकर हस्ताक्षर करवाया गया था, वो तीन महीने बाद ही समाप्त हो रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हाल ही में रूस का दौरा करने और इस मुद्दे को उठाने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. उनके साथ, कश्मीर का एक युवक और कोलकाता का एक अन्य युवक गुरुवार शाम को मॉस्को से एक फ्लाइट में सवार हुए और अपने-अपने शहरों के लिए उड़ान भरने से पहले नई दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरे.

धोखा देकर रूसी सेना में कराया था शामिल

युवकों के परिवारों ने पहले कहा था कि उन्हें यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया गया कि वे रूसी सरकारी कार्यालयों में सहायक के रूप में नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर अग्रिम मोर्चे पर जाने के लिए मजबूर किया गया. सुफ़ियान दिसंबर में गया था।

नवंबर में वहां गए हैदराबाद निवासी मोहम्मद अफसान की वहां मौत हो गई, जिससे परिवारों में दहशत फैल गई.  24 वर्षीय सूफ़ियान दुबई में एक पैकिंग कंपनी में काम कर रहा था, जहां उसे 30,000 रुपये प्रति माह मिलते थे, इससे पहले कि वह एक एजेंट के संपर्क में आया जिसने उसे मॉस्को में नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए मना लिया. लेकिन वह यूक्रेन में अग्रिम मोर्चे पर आ गया, सूफ़ियान के भाई सैय्यद सलमान ने ये जानकारी दी.

9 महीने में 91 भारतीयों को रूसी सेना में किया गया था भर्ती

रूसी सेना की ओर से रिहा किए गए तेलंगाना के नारायणपेट निवासी मोहम्मद सूफियान (24) ने मॉस्को से फोन पर द हिंदू को बताया कि वह और पांच अन्य भारतीय दूतावास में कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद भारत लौटने का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, राज्यसभा सदस्य विक्रमजीत साहनी ने कहा कि पंजाब के चार युवकों समेत 15 भारतीय युवकों को सेना से रिहा होने के बाद रूस से वापस लाया जा रहा है.

सूफियान ने कहा कि उन्हें सुरक्षा सहायक की नौकरी की पेशकश के बाद रूसी सेना में शामिल होने के लिए धोखा दिया गया था. उन्होंने बताया कि हम यूक्रेन सीमा पर युद्ध के मैदान से दो किलोमीटर दूर रेड जोन में थे. हमारा काम शवों को ले जाना था. लगातार बमबारी और गोलीबारी हो रही थी. हमें छिपने के लिए जो बंकर दिए गए थे, वे इतने छोटे थे कि सांस लेना मुश्किल था.

कर्नाटक के कलबुर्गी निवासी समीर अहमद (25) जिन्हें रिहा किया गया था, उन्हों ने कहा कि उन्हें भारत पहुंचने में कुछ दिन लगेंगे. अहमद ने कहा, "हमें सीमा से अपने बेस कैंप तक पहुंचने में 36 घंटे लगे. हमारे अनुबंध रद्द कर दिए गए और अब हम अपने दम पर मॉस्को पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा कि उनका मुद्दा सबसे पहले एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उठाया था, जिन्होंने जनवरी में जयशंकर के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था. 

जिन अन्य चार लोगों को छुट्टी दी गई, वे हैं अब्दुल नईम (28), सैयद इलियास हुसैन (24) कर्नाटक के कलबुर्गी से, आजाद यूसुफ कुमार (32) जम्मू और कश्मीर से और कमल सिंह (40) पंजाब से. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 9 अगस्त को लोकसभा को बताया कि पिछले नौ महीनों में 91 भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती किया गया, उनमें से आठ मारे गए और 69 भारतीयों की रिहाई का इंतजार है.