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नशे में चलाते हैं गाड़ी तो हो जाएं सावधान, जान लीजिए ड्रिंक और ड्राइव पर क्या कहता है भारत का कानून?

सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता सौरभ भरद्वाज बताते हैं कि भारत में शराब पीकर गाड़ी चालना अपराध है. मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 185 इसी प्रावधान के बारे में बात करती है.

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Edited By: India Daily Live
Drink and Drive
Courtesy: Social Media

महाराष्ट्र के पुणे में रियल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे की ड्रंक एंड ड्राइव और हिट एंड रन केस की चर्चा हर तरफ है. नाबालिग ने दो लोगों को अपनी लग्जरी पोर्शे कार से रौंद डाला, जिस पर हंगामा बरपा है. नाबालिग ने पहले क्लब में शराब पी, जमकर पैसे खर्च किए और नशे में दो मासूमों की जिंदगी निगल ली. नाबालिग है, इसलिए वजह कानून के पंजों से बच भी जाएगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में शराब पीकर गाड़ी चलाना अपने आप में एक अपराध है.

पुलिस की रिपोर्ट हैरान करने वाली है. कार चढ़ाते वक्त नाबालिग नशे में था. जब उसने बाइक से कार लड़ाई तो दोनों 20 फीट हवा में उछल पड़े. उसके शर्मनाक कांड की वजह से दो लोगों की जान चली गई. पुणे पुलिस ने बार ऑनर से लेकर उसके पिता तक की गिरफ्तारी की है. भारत में शराब पीकर गाड़ी चालना कितना बड़ा अपराध है, आइए समझ लेते हैं.

भारत में शराब पीकर गाड़ी चलाने पर होता क्या है?

दिल्ली विधिक सेवा सलाहकार विशाल अरुण मिश्र बताते हैं कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के मुताबिक शराब के नशे में गाड़ी चालना धारा 185 के तहत अपराध है. गाड़ी चालने के लिए शराब की लिमिट 100 मिलीग्राम खून में 0.03 प्रतिशत प्रति ग्राम रखी गई है. अगर 30 मिलीग्राम से ज्यादा शराब या ड्रग ब्लड सैंपल में पाया जाता है तो यह गैरकानूनी माना जाता है, इसके लिए सजा दी जा सकती है. 

शराब पीकर गाड़ी चलाने पर क्या मिलती है सजा?
शराब पीकर गाड़ी चालने पर कड़ी सजा मिलती है. अगर आरोप सच साबित होते हैं तो मोटर ह्वीकल एक्ट की धारा 185 के मुताबिक अगर पहली बार आप पकड़े जाते हैं तो आपको 6 महीने की जेल हो सकती है, वहीं 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. साल 2019 के संशोधन से पहले पहली बार अपराध के लिए 2,000 जुर्माना था. दूसरी बार पकड़े जाने पर अब 2 साल की जेल तक हो सकती है. बार-बार ऐसे अपराध करने पर ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द हो सकता है. 

किन गाड़ियों के साथ पकड़े जाने पर लागू होते हैं नियम?
मोटर व्हीकल एक्ट का यह प्रावधान हर तरह की गाड़ियों पर लागू होता है. बाइक सवार लोगों पर भी ये कानून लागू होते हैं. ऑटो रिक्शा, ई रिक्शा ड्राइवर्स पर भी ये कानून लागू होता है. अगर ड्रंक एंड ड्राइव का केस साबित होता है तो इंश्योरेंस भी कंपनी नहीं देती है.