नई दिल्ली: भारत की राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर, द्रौपदी मुर्मू, कर्नाटक के कारवार नेवल बेस पर पहुंचीं और भारतीय नौसेना की स्वदेशी कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर में सवार होकर पश्चिमी समुद्री तट पर एक ऐतिहासिक यात्रा की. इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी उनके साथ मौजूद थे.
यह एक ऐसा अवसर था जब किसी भारतीय राष्ट्रपति ने पनडुब्बी में बैठकर नौसैनिक अभ्यास का अनुभव लिया. इससे पहले यह अनुभव दिवंगत राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को 2006 में प्राप्त हुआ था.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस पनडुब्बी पर यात्रा करने वाली पहली राष्ट्रपति बनीं. इससे पहले भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 2006 में इसी तरह की यात्रा की थी. इसलिए यह किसी राष्ट्रपति द्वारा की गई दूसरी पनडुब्बी यात्रा है. बता दें कार्यक्रम कारवार का आयोजन बंदरगाह पर किया गया था, जो पश्चिमी नौसेना कमान के लिए महत्वपूर्ण केंद्र है
President Droupadi Murmu embarked the Indian Navy's indigenous Kalvari class submarine INS Vaghsheer at Karwar Naval Base, Karnataka. The President is undertaking a sortie on the Western Seaboard. Chief of Naval Staff Admiral Dinesh K. Tripathi is accompanying the Supreme… pic.twitter.com/8LWzOkc4Ut
— President of India (@rashtrapatibhvn) December 28, 2025
आईएनएस वाघशीर प्रोजेक्ट-75 के तहत बनी कलवरी श्रेणी की अत्याधुनिक डीज़ल-इलेक्ट्रिक आक्रमण पनडुब्बी है. यह भारतीय नौसेना की समुद्री क्षमता का प्रतीक है और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का सशक्त उदाहरण भी है. पनडुब्बी समुद्र के अंदर गुप्त अभियान, निगरानी, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और शत्रु जहाजों व पनडुब्बियों के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम है.
राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा गोवा से शुरू हुई चार दिवसीय बहुराज्यीय कार्यक्रम का हिस्सा है. कारवार में कार्यक्रम के बाद वह सोमवार को झारखंड के ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह और एनआईटी जमशेदपुर के 15वें दीक्षांत समारोह में भाग लेंगी. उनकी यात्रा मंगलवार को गुमला में समाप्त होगी.
राष्ट्रपति की यह यात्रा भारतीय नौसेना की तकनीकी दक्षता, साहस और पेशेवर प्रतिबद्धता को दर्शाती है. साथ ही यह सशस्त्र बलों के प्रति सर्वोच्च नेतृत्व के विश्वास और समर्थन को भी मजबूत करती है. इस यात्रा से भारतीय नौसेना की आधुनिक क्षमताओं और आत्मनिर्भर भारत की पहल का प्रभावी संदेश भी सामने आया.