Pranab Mukherjee: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में सोमवार को निधन हो गया. पूर्व राष्ट्रपति की इस महीने की शुरुआत में आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में ब्रेन सर्जरी हुई थी और वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे. अपने लंबे राजनीतिक करियर में प्रणब मुखर्जी सात बार सांसद रहें. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
प्रणब मुखर्जी 2012 में राष्ट्रपति बने थे. इससे पहले उन्होंने कांग्रसे पार्टी के लिए अलग-अलग समय पर कई महत्वपूर्ण योगदान दिया. राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस सरकार के दौरान नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने. वहीं मुखर्जी को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष और उसके बाद 1995 में विदेश मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई.
कांग्रेस पार्टी के राज के दौरान प्रणब मुखर्जी दो बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए. पहली बार 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पीएम पद के लिए उनके नाम पर चर्चा थी. वहीं दूसरी बार 2004 में सोनिया गांधी द्वारा शीर्ष पद से इनकार करने के बाद भी उनके पास ये मौका था, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. प्रणब मुखर्जी की काबिलियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खुद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हे खुद से ज्यादा काबिल बताया था. मनमोहन सिंह ने कहा था कि जब मुझे प्रधानमंत्री बनाया गया तब प्रणब मुखर्जी इस पद के लिए ज्यादा काबिल थे. लेकिन इसमें मैं कर ही क्या सकता था? इस पद के लिए खुद कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी ने मुझे चुना था.
भारतीय राजनीति में प्रणब मुर्खजी का बड़ा योगदान रहा है. उन्हें एक सच्चा कांग्रेसी नेता माना जाता है. हालांकि बीच में एक ऐसा समय भी था जब प्रणब दा ने कांग्रेस का साथ छोड़ अपनी नई पार्टी की शुरुआत की थी. उन्होंने 1986 में कांग्रेस छोड़ कर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस नामक पार्टी की शुरुआत की. हालांकि इसके तीन साल बाद राजीव गांधी और मुखर्जी के बीच समझौता हुआ और फिर उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया.
मुखर्जी की राजनीति में एंट्री बंगाल के पूर्व सीएम सिद्धार्थ शंकर ने कराई थी. इससे पहले मुखर्जी 1969 के उपचुनाव में वी के कृष्ण मेनन के चुनाव एजेंट के रूप में काम कर रहे थे. शंकर रे ने प्रणब मुखर्जी के नाम की सिफारिश प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की थी. जिसके बाद मुखर्जी की एंट्री राज्यसभा में हुई. धीरे-धीरे इंदिरा गांधी और प्रणब मुखर्जी के बीच अच्छा रिश्ता बन गया. लोगों का कहना था कि इंदिरा गांधी का सारा राज प्रणब मुखर्जी को पता होता था और वो कुछ भी करने से पहले एक बार उनसे सलाह भी लेती थी.
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखा कि प्रणब दा रहस्य रखने में बहुत माहिर हैं. इंदिरा जी कहा करती थीं कि जब भी प्रणब दा को कोई गोपनीय जानकारी दी जाती है, तो वह उनके पेट से कभी नहीं निकलती. जो निकलता है, वह सिर्फ़ उनके पाइप से निकलने वाला धुआँ होता है.
इंदिरा गांधी और प्रणब मुखर्जी का काफी मजबूत रिश्ता रहा है. कांग्रेस के विभाजन के दौरान भी प्रणब मुर्खजी इंदिरा के साथ डटे रहे. हालांकि इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस में उनका बुरा दौर शुरू हुआ. पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की दौड़ में किनारे कर दिया गया और इंदिरा के बेटे राजीव गांधी को पीएम पद की जिम्मेदारी मिली. प्रणब मुखर्जी 7 बार सांसद, 3 प्रधानमंत्रियों के अधीन मंत्री रह चुके हैं.