PM Modi Srinagar Rally: घाटी में अनुच्छेद 370 के रद्द होने के बाद पहली बार श्रीनगर में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक रैली को संबोधित किया. इस दौरान काफी संख्या में लोग उन्हें सुनने के लिए पहुंचे. ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि रैली में भीड़ जमा करने के लिए बसों में सरकारी कर्मचारियों को भरकर लाया गया था.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने सरकारी कर्मचारियों के सुबह-सुबह बसों में चढ़ने का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है. इसके साथ उन्होंने अपने एक्स पर लिखा कि मोदी की यात्रा विद्रोह के चरम पर वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह जैसे पिछले प्रधानमंत्रियों की यात्राओं के बिल्कुल अलग है.
उन्होंने लिखा कि तब आम लोग बड़े उत्साह के साथ आयोजन स्थलों पर पहुंचे और अपने दिलों में आशा लेकर लौटे, लेकिन इस बार कश्मीरियों को पता है कि बख्शी स्टेडियम में बोली जाने वाली हर बात उनके घावों पर नमक का काम कर रही है. अनुच्छेद 370 के अवैध रद्दीकरण के लाभों को दिखाया जा रहा है. ये यात्रा केवल आगामी लोकसभा चुनावों के लिए शेष भारत में भाजपा के मुख्य निर्वाचन क्षेत्रों को संबोधित करने और समर्थन जुटाने के लिए है.
वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी पीएम मोदी की रैली पर निशाना साथा है. उन्होंने कथित तौर पर रैली में शामिल होने के लिए श्रीनगर के कर्मचारियों की लिस्ट का एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया है.
उन्होंने लिखा कि कल गोदी मीडिया और एजेंसियां श्रीनगर में पीएम मोदी को सुनने के लिए इकट्ठा हुई 'ऐतिहासिक भीड़' के बारे में बात करेंगी. वे यह बताना भूल जाएंगे कि वहां मौजूद लगभग कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से नहीं आया था. उमर ने एक्स पर लिखा कि तानाशाही जम्मू-कश्मीर सरकार ने पीएम को भीड़ देने के लिए हर संभव कोशिश की है क्योंकि बीजेपी प्रशासन के बिना जम्मू-कश्मीर में कुछ भी संभाल नहीं सकती है.
सर्दी भरे मौसम में करीब 1000 सरकारी कर्मचारियों को सभा स्थल पर ले जाने के लिए इकट्ठा किया जा रहा था. जो कर्मचारी उपस्थित नहीं होते हैं उन्हें उनके विभाग प्रमुखों की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दी जा रही है. इन सभी कर्मचारियों को आयोजन स्थल तक पहुंचाने के लिए प्राइवेट स्कूलों ने अपनी बसें तैनात कर दी हैं. मेरे पास 1,000 से ज्यादा की लिस्ट हैं.
उन्होंने कहा है कि श्रीनगर से करीब 7,000 सरकारी कर्मचारियों और जिले के बाहर से कई कर्मचारियों को रैली में भाग लेने के लिए निर्देशित किया गया था. इनमें स्कूली शिक्षा, श्रीनगर नगर निगम, उच्च शिक्षा, कृषि और सामाजिक कल्याण जैसे विभाग शामिल थे.