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'विपक्षी दलों की पुरानी चाल, डरा-धमका कर निकालते हैं काम', वकीलों के लेटर पर पीएम मोदी ने तोड़ी चुप्पी

PM Modi reaction on lawyers letters: 600 से अधिक वकीलों ने देश की न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने वाले "स्वार्थी समूह" के बारे में चिंता जताई थी जिसको लेकर पीएम मोदी ने प्रतिक्रिया देते हुए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश पर चिंता जताई है.

India Daily Live
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PM Modi reaction on lawyers letters: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 600 से अधिक वकीलों की ओर से जताई गई चिंताओं पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह विपक्षी दलों की पुरानी चाल है कि वे दूसरों को डराकर-धमकाकर अपना काम निकालें.  यह प्रतिक्रिया उस पत्र के बाद आई है, जिसे वकीलों ने देश के चीफ जस्टिस को लिखा था. इस पत्र में वकीलों ने एक 'स्वार्थी समूह' की ओर से न्यायपालिका को कमजोर करने और अदालतों की छवि खराब करने की कोशिशों पर चिंता जताई थी.

पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने "पांच दशक पहले एक 'समर्पित न्यायपालिका' की मांग की थी."

उन्होंने आगे कहा कि "यह कितनी विडंबना है कि वे दूसरों से तो वचनबद्धता चाहते हैं, लेकिन राष्ट्र के प्रति उनकी खुद की कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई देती. शायद यही कारण है कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें खारिज कर रहे हैं."

वकीलों के आरोप - न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और बार काउंसिल के अध्यक्ष मानन कुमार मिश्रा सहित 600 से अधिक वकीलों ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में दावा किया कि एक "स्वार्थी समूह" व्यवस्था में दखल देकर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरा पैदा कर रहा है. उनका आरोप है कि यह समूह खासकर राजनेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों में अदालतों को दबाव में लाने और उनकी कार्यवाही को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है.

पत्र में आगे कहा गया है कि "यह समूह अदालतों के एक काल्पनिक स्वर्णिम अतीत का वर्णन गढ़ता है और वर्तमान परिस्थितियों के साथ उसकी तुलना कर भ्रम फैलाता है." वकीलों का दावा है कि इस समूह का असली मकसद मीडिया के जरिए कोर्टों को प्रभावित करना और राजनीतिक फायदा उठाना है.

गुप्त एजेंडे के तहत संस्थाओं पर हो रहा हमला

देश भर से जुटे वकीलों ने अपने पत्र में आशंका जताई है कि "यह रणनीति न सिर्फ हमारी अदालतों को कमजोर कर रही है, बल्कि हमारे लोकतांत्रिक ढांचे के लिए भी खतरा है. यह समूह न्यायपालिका की इज्जत को कम करने के लिए "बेंच फिक्सिंग" जैसे झूठे आरोप लगा रहा है."

पत्र में कहा गया है कि वे न सिर्फ भारतीय अदालतों की तुलना उन देशों की अदालतों से कर रहे हैं जहां कानून का राज नहीं है, बल्कि हमारे न्यायिक संस्थानों पर गलत प्रथाओं का आरोप भी लगा रहे हैं. ये केवल आलोचनाएं नहीं हैं, बल्कि सुनियोजित हमले हैं. इनका उद्देश्य हमारी न्यायपालिका में जनता के भरोसे को कमजोर करना और कानून के निष्पक्ष कामकाज में बाधा पहुंचाना है.

इस मामले में अभी और घटनाक्रम आने बाकी हैं. यह देखना होगा कि क्या चीफ जस्टिस इस मामले पर कोई संज्ञान लेते हैं और क्या वकीलों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कराई जाती है.