केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं. नागपुर में आयोजित अखिल भारतीय महानुभाव परिषद के कार्यक्रम में उन्होंने राजनीति की हकीकत पर चर्चा करते हुए कहा कि राजनीति में सच बोलना आसान नहीं है.
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अक्सर वही नेता सबसे अच्छा माना जाता है, जो लोगों को बेवकूफ बनाने की कला में माहिर हो. इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक बहस छिड़ गई, लेकिन गडकरी ने इसे व्यक्तिगत सिद्धांत नहीं बल्कि राजनीति की विडंबना के रूप में प्रस्तुत किया.
अपने भाषण में गडकरी ने साफ कहा कि राजनीति में सच कहना सबसे कठिन काम है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बोलना आसान है, करना मुश्किल. एक अधिकारी न होने के बावजूद उन्होंने राजनीति के इस अनुभव को गहराई से महसूस किया है. उन्होंने कहा कि राजनीति में दिल से सच्चाई कहना अक्सर हतोत्साहित किया जाता है. इसी संदर्भ में उन्होंने एक मराठी कहावत ‘हौसे, नवसे, गावसे’ का जिक्र किया, जिसका मतलब है कि नेता अपनी बनाई गई छवि और धारणा पर चलते हैं और कई बार नेतृत्व का मूल्यांकन इसी आधार पर किया जाता है.
गडकरी ने अपने भाषण में कहा, 'जो व्यक्ति जनता को सबसे अच्छे तरीके से मूर्ख बना लेता है, वही अक्सर सबसे अच्छा नेता कहलाता है.' यह बयान सीधा और कड़ा जरूर था, लेकिन उन्होंने इसे राजनीति की सच्चाई के रूप में रखा. उन्होंने कहा कि राजनीति में यह प्रवृत्ति लंबे समय से चली आ रही है और यह जनता और नेता के बीच के रिश्तों को परिभाषित करती है.
हालांकि जनता को गुमराह करने वाले इस व्यंग्यात्मक बयान के बीच गडकरी ने मूल्यों की अहमियत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से ईमानदारी, सच्चाई, विश्वसनीयता और समर्पण जैसे मूल्यों को ही असली नेतृत्व मानते हैं. उन्होंने जीवन में शॉर्टकट्स लेने से बचने की सलाह दी. गडकरी ने कहा, 'शॉर्टकट का आकर्षण हमेशा रहता है. कोई सिग्नल तोड़कर समय बचाना चाहता है, कोई नियम तोड़कर फायदा लेना चाहता है, लेकिन जैसा एक दार्शनिक ने कहा था- 'शॉर्टकट कट्स यू शॉर्ट’. यानी यह लंबे समय तक टिकता नहीं है और अंततः विश्वसनीयता पर चोट करता है.'
गडकरी ने यह भी दोहराया कि भले ही राजनीति में गुमराह करने वालों को सफलता मिलती हो, लेकिन अंततः सत्य की ही जीत होती है. उन्होंने गीता का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने भी कहा है कि अंत में हमेशा सत्य की ही विजय होती है. यह बयान गडकरी की उसी छवि को और मजबूत करता है, जिसमें वे बिना लाग-लपेट राजनीति और शासन की वास्तविकताओं पर टिप्पणी करते रहते हैं. यही कारण है कि उनके बयान अक्सर सुर्खियां बन जाते हैं और चर्चा का विषय बनते हैं.