नई दिल्ली: रूस के साथ एस 400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलिवरी में लगातार देरी के बीच भारत ने अपनी रक्षा खरीद नीति में एक बड़ा बदलाव किया है. इस बदलाव के बाद यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि क्या इसका प्रभाव एस 400 सौदे पर भी पड़ सकता है. इमर्जेंसी क्लॉज के तहत खरीदे गए हथियारों की डिलिवरी अगर एक साल के भीतर नहीं होती है तो वह डील रद्द कर दिया जाएगा.
यह बदलाव ऐसे समय में किया गया है जब कुछ ही दिनों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आने वाले हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थितियों ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को और अधिक बढ़ा दिया है. पाकिस्तान पर मिली बढ़त के बाद यह आशंका है कि वह किसी भी समय पलटवार कर सकता है. साथ ही चीन की बढ़ती गतिविधियों ने भी सुरक्षा को लेकर गंभीर चुनौतियां पैदा कर दी हैं. इसी कारण भारत अपनी रक्षा तैयारियों में किसी भी कमी की गुंजाइश नहीं रखना चाहता है.
इसी बीच रक्षा खरीद प्रक्रिया में यह बड़ा बदलाव किया गया है जो आपूर्तिकर्ता देशों और कंपनियों पर समय सीमा का दबाव बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है. रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने एएनआई के कार्यक्रम में बताया कि इमर्जेंसी क्लॉज में यह साफ कर दिया गया है कि सौदे की तारीख से एक साल के भीतर सप्लाई नहीं मिली तो सरकार उस सौदे को रद्द कर देगी. उनका कहना है कि इस नियम से कंपनियों पर यह दबाव बनेगा कि वे तय समय में हथियारों की डिलिवरी पूरी करें.
एस 400 को लेकर उन्होंने साफ किया कि यह डील इमर्जेंसी क्लॉज के दायरे में नहीं आती है. भारत ने रूस के साथ 2018 में पांच स्क्वाड्रन की डील की थी लेकिन अभी तक केवल तीन स्क्वाड्रन की सप्लाई ही हो पाई है. रूस के यूक्रेन युद्ध में उलझने के कारण डिलिवरी में लगातार देरी हो रही है. भारत अब अतिरिक्त पांच स्क्वाड्रन खरीदना चाहता है ताकि पूरे सीमांत क्षेत्र को मजबूत सुरक्षा कवच मिल सके. हालांकि देरी चिंता का विषय है लेकिन यह सौदा रद्द होने की स्थिति में नहीं है.
राजेश सिंह ने कहा कि पुतिन के भारत दौरे में एस 400 की डिलिवरी का मुद्दा प्रमुख रहेगा. पांच दिसंबर को होने वाली इस मुलाकात में कई महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों की उम्मीद है. भारत रूस से स्पष्ट समयसीमा चाहता है ताकि रक्षा तैयारी में कोई बाधा न आए. उन्होंने कहा कि कड़े नियम इसलिए जरूरी थे क्योंकि चीन के साथ एलओसी पर तनातनी के दौरान कई इमर्जेंसी कॉन्ट्रेक्ट किए गए लेकिन कई हथियार आज तक नहीं मिले.
उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल देसी कंपनियां ही जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि रूस, इजरायल और अमेरिका के कई कॉन्ट्रेक्ट भी देरी से प्रभावित हुए हैं. इसे देखते हुए इमर्जेंसी हथियार खरीद पर सख्त समय सीमा का नियम लागू किया गया है.