Lalbaugcha Raja Visarjan: मुंबई का प्रतिष्ठित लालबागचा राजा गणपति का विसर्जन, जो हर साल भक्तों के लिए आस्था और उत्साह का प्रतीक है, इस बार रविवार रात 8 बजे तक नहीं हो सका. यह पहली बार है जब वर्षों में इस पवित्र मूर्ति का विसर्जन इतने समय तक टल गया. अधिकारियों के अनुसार, रविवार दोपहर को मूर्ति को एक विशेष राफ्ट पर स्थानांतरित किया गया, लेकिन सुबह से ही उच्च ज्वार और तकनीकी चुनौतियों के कारण देरी हुई. अंतिम विसर्जन आज रात 11 बजे के आसपास होने की उम्मीद है.
लालबागचा राजा गणपति मंडल की स्थापना 1934 में कोली मछुआरों और स्थानीय व्यापारियों द्वारा की गई थी, जब औद्योगिक परिवर्तनों के कारण लालबाग (तब गिरनगांव) में उनका बाजार प्रभावित हुआ था. उन्होंने भगवान गणेश की स्थापना का संकल्प लिया, ताकि उनका बाजार सुरक्षित हो. 12 सितंबर, 1934 को पहला सार्वजनिक गणेश उत्सव आयोजित हुआ. तब से लाखों भक्त हर साल इस पांडाल में दर्शन के लिए आते हैं, यह विश्वास रखते हुए कि बप्पा उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. कई भक्त अपनी इच्छा पूरी होने पर बप्पा को धन्यवाद देने भी लौटते हैं.
विसर्जन में देरी: क्या रही वजह?
लालबागचा राजा की मूर्ति को विसर्जन के लिए शनिवार दोपहर से शुरू हुई भव्य शोभायात्रा के बाद, गिरगांव चौपाटी पर लाया गया. हालांकि, उच्च ज्वार और तकनीकी समस्याओं के कारण सुबह से कई बार विसर्जन के प्रयास विफल रहे. मूर्ति को रविवार दोपहर 4:45 बजे सैकड़ों स्वयंसेवकों और मछुआरों की मदद से एक नवनिर्मित राफ्ट पर स्थानांतरित किया गया. इस राफ्ट को हाइड्रोलिक सिस्टम और इलेक्ट्रिकल नियंत्रणों के साथ डिजाइन किया गया है, ताकि मूर्ति को अस्थिर समुद्र में भी स्थिर रखा जा सके.
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— Lalbaugcha Raja (@LalbaugchaRaja) September 5, 2025
सुबह से क्या हुआ?
लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल के मानद सचिव सुधीर सलवी ने बताया, "उच्च ज्वार अपेक्षा से पहले शुरू हो गया, जबकि शोभायात्रा 10-15 मिनट देरी से पहुंची. हमने शुरुआत में मूर्ति को विसर्जित करने की कोशिश की, लेकिन यह ठीक नहीं हो रहा था, इसलिए हमने रुकने का फैसला किया. स्थानीय मछुआरों ने सलाह दी कि रात 11 बजे के आसपास अगले उच्च ज्वार के दौरान राफ्ट तैर सकेगा. उसी समय अंतिम विसर्जन प्रक्रिया होगी."
सुबह में, उच्च ज्वार के कारण समुद्र का जलस्तर मूर्ति की कमर तक पहुंच गया, जिससे राफ्ट अस्थिर हो गया और उसे संभालना मुश्किल हो गया. करीब तीन घंटे तक मूर्ति कुछ फीट गहरे पानी में रही, जिसमें 15-20 स्वयंसेवक और मछुआरे संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते रहे.
भक्तों का उत्साह और आस्था
लालबागचा राजा का विसर्जन हर साल गिरगांव चौपाटी पर सुबह 9 बजे से पहले हो जाता है, लेकिन इस बार की देरी ने भक्तों के बीच उत्सुकता बढ़ा दी है. फिर भी, हजारों की संख्या में भक्त और दर्शक इस पवित्र प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए मौजूद रहे. यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि मुंबई की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी दर्शाता है.