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India Daily

National Natural Farming Mission: लागत कम, ज्यादा मुनाफा! पीएम मोदी आज करने जा रहे 'राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन' की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की शुरुआत करेंगे. इस योजना का लक्ष्य 1 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाना और 7.50 लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है. इस योजना से खेती की लागत घटेगी, रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होगी और किसानों को ब्रांडिंग से लेकर मार्केट तक की सुविधा मिलेगी.

Km Jaya
Edited By: Km Jaya
PM Narendra Modi agriculture scheme
Courtesy: Social Media

National Natural Farming Mission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार 23 अगस्त यानी आज नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), पूसा परिसर से राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Natural Farming Mission-NNFM) की शुरुआत करेंगे. यह महत्वाकांक्षी पहल भारतीय कृषि क्षेत्र में टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य कृषि मंत्रियों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह कदम केंद्र सरकार की पर्यावरण-जिम्मेदार कृषि नीति और सतत विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. नीति आयोग द्वारा तैयार इस योजना का लक्ष्य किसानों की लागत घटाना, मिट्टी की सेहत सुधारना और प्राकृतिक खेती के जरिए देश को सतत कृषि में वैश्विक नेतृत्व दिलाना है.

योजना का दायरा और बजट

इस योजना के लिए कुल बजट 2481 करोड़ रुपये का तय किया गया है. जिसमें केंद्र सरकार 1,584 करोड़ रुपये और राज्य सरकारें 897 करोड़ रुपये का योगदान देंगी. शुरुआती चरण में 1 करोड़ किसानों को लाभ देने का लक्ष्य है. लगभग 7.50 लाख हेक्टेयर भूमि इस योजना के तहत देशभर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. मिशन के तहत खेती की लागत घटाने और रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करने पर जोर दिया जाएगा. शुरुआत में इस योजना का फायदा आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों के किसानों को मिलेगा.

खाद से लेकर ब्रांडिंग तक की सुविधा

सरकार किसानों की सुविधा के लिए बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर स्थापित करेगी, जहां से किसान प्राकृतिक खाद और अन्य संसाधन प्राप्त कर सकेंगे. इसके अलावा किसानों को सर्टिफिकेशन सिस्टम और कॉमन मार्केट ब्रांडिंग की सुविधा भी दी जाएगी और उपज की निगरानी के लिए जियोटैगिंग और ऑनलाइन पोर्टल का भी उपयोग किया जाएगा. 

भविष्य की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिशन के जरिए किसानों को न केवल खेती की लागत में राहत मिलेगी, बल्कि उन्हें रसायन-मुक्त खेती से बेहतर बाजार मूल्य भी मिल सकेगा. साथ ही जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी. फिलहाल यह योजना दो साल के लिए लागू की जाएगी, जिसके बाद इसके परिणामों के आधार पर इसे आगे बढ़ाने पर निर्णय होगा.