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Explainer: आसान भाषा में समझें क्या है मिशन गगनयान, कितनी है लागत...कैसे भारत को होगा लाभ

Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद एक बार फिर दुनिया की निगाहें भारत के इस मिशन पर लगी हैं.

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Edited By: Amit Mishra
Explainer: आसान भाषा में समझें क्या है मिशन गगनयान, कितनी है लागत...कैसे भारत को होगा लाभ

Mission Gaganyaan: भारत ने हाल ही में मिशन चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक पूरा किया. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को उतारकर इतिहास रचा गया. चांद के इस मुश्किल हिस्से पर सफलतापूर्वक लैंडिग कराने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए मिशन लॉन्च किया. स्पेस के क्षेत्र में एक के बाद एक बढ़ते कदम यहीं नहीं रुके और अब इसरो भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में ले जाने की पूरी तैयारी कर चुका है. नाम है मिशन गगनयान. ये मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) और अंतरिक्ष विभाग की एक संयुक्त परियोजना है जिसमें भारतीय वायुसेना भी पूरा सहयोग कर रही है...तो चलिए आपको बताते हैं कि मिशन गगनयान है क्या, कब शुरू हुआ इसका लाभ क्या है और किसने भारत का साथ दिया.

क्‍या है गगनयान मिशन?

सबसे पहले आपको इस मिशन के बारे में बताते हैं. गगनयान की पहली उड़ान 21 अक्टूबर 2023 को होगी. इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (Test Vehicle Abort Mission -1) कहा जा रहा है. गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट के बाद तीन और टेस्ट फ्लाइट D2, D3 और D4 भेजी जाएंगी. फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 की तैयारी पूरी हो चुकी हैं. गगनयान मिशन भारत का पहला ह्यूमन स्‍पेस मिशन है. इसमें 3 सदस्यों के दल को 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा. इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा. अगर ये मिशन सफल होता है तो अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

 

कहां से होगी लॉन्चिंग?

गगनयान मिशन टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 की लॉन्चिंग श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से की जाएगी. लॉन्चिंग के दौरान क्रू मॉड्यूल को आउटर स्पेस तक भेजा जाएगा. इसके बाद इसे वापस जमीन पर लौटाया जाएगा. इसकी लैंडिंग बंगाल की खाड़ी में कराई जाएगी. फिर उसकी रिकवरी भारतीय नौसेना करेगी. ये टेस्‍ट उड़ान बेहद  अहम मानी जा रही है क्‍योंकि इसकी सफलता पर ही आगे का पूरा प्‍लान बनाया जाएगा.

india mission gaganyaan-1

 

इसरो ने विकसित की तकनीक

इसरो ने मिशन गगनयान के लिए खास टेक्नोलॉजी विकसित की हैं. जैसे प्रवेश मिशन क्षमता, क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल कॉन्फिगरेशन, थर्मल सुरक्षा प्रणाली, फ्लोटेशन सिस्टम. इनमें से कुछ तकनीकों को स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपेरिमेंट (SRE-2007), क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक रीएंट्री एक्सपेरिमेंट (CARE-2014) और पैड एबॉर्ट टेस्ट के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रदर्शित भी किया गया है. ये तकनीकें इस मिशन को पूरा करने में सहायक होंगी.

क्‍या है क्रू मॉड्यूल?

गगनयान में एक क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल का वजन लगभग 7 टन है और इसे रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा. क्रू मॉड्यूल का आकार 3.7x 7 मीटर है. बता दें कि क्रू मॉड्यूल उस हिस्‍से को कहते हैं जिसके अंदर एस्‍ट्रोनॉट बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे. ये एक केबिन की तरह है, जिसमें एस्‍ट्रोनॉट्स के लिए कई तरह की सुविधाएं भी शामिल हैं. क्रू मॉड्यूल में नेविगेशन सिस्टम, फूड स्टोरेज, हेल्थ सिस्टम और टॉयलेट जैसी सुविधाएं होंगा. इसके अंदर का हिस्‍सा उच्च और निम्न तापमान को बर्दाश्त करेने में सक्षम होगा और अंतरिक्ष के रेडिएशन से एस्‍ट्रोनॉट्स को बचाएगा.

isro mission gaganyaan launch

 

मिशन में होगा क्या?

गगनयान को लॉन्च करने के लिए जीएसएलवी एमके-III लॉन्च व्हीकल का उपयोग किया जाएगा. इस परीक्षण में क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम होंगे. ये दोनों आवाज की गति से ऊपर जाएंगे, फिर 17 किलोमीटर की ऊंचाई से एबॉर्ट सिक्वेंस शुरू होगा. वहीं पर क्रू एस्केप सिस्टम डिप्लॉय होगा. क्रू मॉड्यूल को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुल जाएंगे. पैराशूट एस्ट्रोनॉट्स की सेफ लैंडिंग में मदद करेगा. ये क्रू मॉड्यूल की स्पीड को कम करेगा, साथ ही उसे स्थिर भी रखेगा.

 

अनमैन्ड और मैन्‍ड मिशन की तैयारी

गगनयान मिशन टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 सफल होता है तो इसके बाद गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया जा सकता है. अनमैन्‍ड मिशन में इंसानी शक्‍ल के रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा. अनमैन्ड मिशन के सफल पर मैन्ड मिशन की शुरुआत होगी. इस मिशन में इंसान स्पेस में जाएंगे.

मिशन की लागत?

मिशन गगनयान का बजट लगभग 10,000 करोड़ रुपये है और इसमें तकनीकी विकास की लागत, उड़ान हार्डवेयर तैयार करना और जरूरी बुनियादी ढांचे को विकसित करना शामिल है. यहां ये भी बता दें कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले काफी कम पैसा खर्च होता है.

isro gaganyaan
 

मिशन का लाभ

गगनयान मिशन की सफलता से अंतरिक्ष में एक्पेरिमेंट्स के लिए कई दरवाजे खुलेंगे. इससे भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने में मदद ममिलेगी. सौर प्रणाली और उससे आगे केल बारे में पता लगाया जा सकेगा. दुनिया में भारत की साख बढ़ेगी. भारत को उन्नत तकनीक हासिल होगी जिसका उपयोग अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकेगा. विकास के क्रम को आगे बढ़ानें में व्यापक एकेडमिक और इंडस्ट्री साझेदारी के लिए ढांचा तैयार 
होगा.

इस देश ने की मदद

गगनयान मिशन में शामिल भारत के वायुसेना अधिकारियों ने रूस में ट्रेनिंग पूरी की. चार भारतीय एस्ट्रोनॉट्स ने रूस की राजधानी मॉस्को के नजदीक जियोजनी शहर में स्थित रूसी स्पेस ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट्स बनने का प्रशिक्षण पूरा कर किया है. भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों में एक ग्रुप कैप्टन बाकी तीन विंग कमांडर हैं. रूस में ट्रेनिंग लेने के सभी एस्ट्रोनॉट्स को भारत में भी ट्रेनिंग दी गई है.  भारतीय एस्ट्रोनॉट्स के लिए स्पेस सूट भी रूस में तैयार किए गए हैं.

isro mission gaganyaan
 

5 साल पहले हुई थी घोषणा

गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में की थी. गगनयान मिशन की लॉन्चिंग 2022 को होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हो गई. चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद गगनयान मिशन पर तेजी के साथ काम शुरू हुआ है. अब वो तरीख नजदीक है जब अंतिक्ष के क्षेत्र में भारत एक बार फिर परचम लहारने की तैयारी में है.

मिशन में इनकी भी है भागीदारी

गगनयान मिशन में इंडियन आर्म्ड फोर्स के अलावा रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) भी शामिल हैं. इस मिशन में भारतीय समुद्री एजेंसिां जैसे भारतीय नौसेना, भारतीय तट रक्षक बल, भारतीय शिपिंग निगम, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान को भी शामिल किया गया है. इनके अलावा भारतीय मौसम विभाग, सीएसआईआर लैब्स की भी अहम भूमिका है. देश की बड़ी प्राइवेट कंपनियों का भी गगनयान मिशन में सहयोग है.

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