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खत्म होगी दुश्मनी? मणिपुर में मैती और कुकी को पास लाने के लिए असम राइफल्स कर रही ये काम

पिछले साल मई में मैती समुदाय की अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने की मांग के खिलाफ एक आदिवासी एकजुटता मार्च निकाले जाने के दौरान मणिपुर में हिंसा भड़क उठी थी.

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Assam Rifles

पिछले साल मई में मणिपुर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी. दो समुदायों के बीच भड़की इस हिंसा ने कई घरों, परिवारों को उजाड़ कर रख दिया था. यह हिंसा इतनी भयंकर थी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हिंसा का जिक्र होने लगा था और इसको लेकर मोदी सरकार को भारी आलोचना सहनी पड़ी थी. हिंसा के कारण दो समुदाओं में जो दरार पैदा हुई असम राइफल्स ने अब दोनों समुदायों के बीच की दरार को भरने का बीड़ा उठाया है.

असम राइफल्स के इस प्रयास से खत्म होगी दुश्मनी

असम राइफल्स ने मणिपुर के उखरुल में अपने शैक्षिक उत्कृष्टता केंद्र में 37 छात्राओं को आश्रय प्रदान किया है. इन छात्रों में मैती, कुकी और नागा समुदाय की छात्राएं हैं. एक एनजीओ के सहयोग से खोले गए इस केंद्र का मकसद कुकी, मैती समुदाय की छात्राओं को शिक्षा के अवसर प्रदान करना है.

असम राइफल्स के इस सेंटर ऑफ एजुकेशनल एक्सीलेंस (ARCEE) में पढ़ाने के लिए लाई गई 37 छात्राओं में 22 नागा, 6 कुकी, 8 मैती और एक पंगल समुदाय की लड़की शामिल है.

आशा की किरण बनकर उभरा एजुकेशन सेंटर

उखरुल, चुराचांदपुर से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर है. चुराचांदपुर वही राज्य है जहां से इस जातीय हिंसा की चिंगारी भड़की थी और फिरवह शोला बन गई जिसने पूरे मणिपुर को जला दिया. असम राइफल्स ने अपने एक बयान में कहा कि हिंसा के कारण जिन बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई उनके लिए यह शैक्षिक केंद्र एक आशा की किरण बनकर उभरा है.

असम राइफल्स के एक अधिकारी ने कहा अपने लक्ष्य की ओर पहला कदम बढ़ाने छात्राओं को अब अपने पथ पर चलने के लिए एक मजबूत पथ मिल गया है. यहां आप जो भी सुविधाएं देख रहे हैं वह NIEDO और असम राइफल्स की अथक प्रयासों का परिणाम है, जिसने एक बेहद चुनौतीपूर्ण माहौल में भी इसे संभव बनाया. असम राइफल्स ने कहा कि इनमें से एक लड़की इस हिंसा का केंद्र रहे चुराचांदपुर की है. असम राइफल्स ने इस लड़की की काफी मदद की.

क्या बोलीं छात्राएं

वहीं लड़की ने कहा, 'हम इस केंद्र में बहुत ही सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, यहां कोई भेदभाव नहीं होता. मेरा मानना है कि केवल शिक्षा ही मणिपुर के हालातों को बदल सकती हैं. हम यहां 37 लड़कियां हैं जो अलग-अलग जाति-जनजाति से हैं. हमें यहां कोई भेदभाव महसूस नहीं होता. हमारा सबका उद्देश्य अपनी पढ़ाई पूरी कर समाज के लिए काम करना है.' केंद्र में पढ़ रही मैती समुदाय की एक अन्य छात्रा ने कहा कि हम यहां अपने सपने पूरे करने आए हैं. हम सभी को एक अच्छा अवसर मिला है. कभी-कभी मुझे अपने घर की याद आती है लेकिन यहां हम अलग-अलग समुदाय से होने के बाद भी एक परिवार की तरह रह रहे हैं. मेरा मानना है कि अच्छी शिक्षा ही समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती है.

इसके अलावा इस केंद्र में कांगपोकपी जिला से भी एक लड़की पढ़ने आई है. कांगपोकपी जिला भी इस हिंसा में बुरी तरह प्रभावित हुआ था. असम राइफल्स के अधिकारियों ने कहा कि इनमें से कुछ लड़कियों को चुराचांदपुर से दिसंबर 2023 में हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से रेस्क्यू कर लाया गया था. उन्होंने कहा कि ARCEE को जॉइन कराकर छात्रों और उनके अभिभावकों ने बहुत की साहसिक कदम उठाया है. आज ये लड़कियां बिना डरे अपने सपनों को साकार करने के लिए यहां मेहनत कर रही हैं.