Mehul Choksi Extradition: बेल्जियम के एंटवर्प की एक अदालत ने शुक्रवार को 95 करोड़ डॉलर से ज़्यादा की धोखाधड़ी के मामले में भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत प्रत्यर्पित करने के बेल्जियम के अभियोजकों के अनुरोध को स्वीकार कर लिया. अदालत ने चोकसी के वकीलों और भारत के अनुरोध पर उसके प्रत्यर्पण की मांग करने वाले बेल्जियम के अभियोजकों का पक्ष सुना और फैसला सुनाया कि इस साल अप्रैल में उसकी गिरफ्तारी और उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध वैध है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निश्चित रूप से, चोकसी इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है. इसका मतलब है कि वह तुरंत नहीं आ सकता, लेकिन पहला और बेहद महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया है. बता दें कि 65 वर्षीय चोकसी को पिछले साल जुलाई में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बेल्जियम में ट्रैक किया था और उसने बेल्जियम सरकार से औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध किया था.
प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर, उसे अंततः 11 अप्रैल को एंटवर्प पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और वह चार महीने से ज़्यादा समय से वहां जेल में बंद है. भारत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 120बी (आपराधिक षडयंत्र), 201 (साक्ष्य नष्ट करना), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 477ए (खातों में हेराफेरी), और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 7 और 13 (रिश्वतखोरी) के तहत उसके प्रत्यर्पण की मांग की है. ये प्रत्यर्पण संधि के दोहरे अपराध खंड के तहत बेल्जियम में भी अपराध हैं. प्रत्यर्पण अनुरोध में अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनटीओसी) और भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएसी) का भी हवाला दिया गया है.
भारत सरकार ने बेल्जियम को यह भी आश्वासन दिया कि यदि चोकसी को भारत प्रत्यर्पित किया जाता है, तो उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक संख्या 12 में रखा जाएगा, जो यूरोपीय सीपीटी (यातना और अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार या दंड की रोकथाम समिति) के अनुरूप है. भारत ने यह भी आश्वासन दिया है कि उसे स्वच्छ पेयजल, पर्याप्त भोजन और चिकित्सा सुविधाएं, समाचार पत्रों और टीवी तक पहुंच, निजी चिकित्सक से उपचार की पसंद सहित सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी और उसे एकांत कारावास का सामना नहीं करना पड़ेगा.