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Mayawati: साधारण से दलित परिवार में हुआ जन्म और 4 बार बनीं UP की सीएम, राजा भैया को पिता समेत भिजवाया जेल

उत्तर प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है. एक साधारण परिवार में उनका जन्म हुआ, लक्ष्य IAS बनने का था और एक सफल राजनेता बनकर उभरीं.

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
Mayawati Birthday
Courtesy: x

Mayawati Birthday: मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल में हुआ था. उनके पिता प्रभु दास गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर में मौजूद एक पोस्ट ऑफिस में कर्मचारी थे. बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली मायावती का जीवन एक प्रेरणा है. मायावती ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से की, जहां उन्होंने कला विषय में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी और मेरठ विश्वविद्यालय से बी.एड की डिग्री प्राप्त की. 

भले ही वे एक दलित और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े परिवार से आती थीं, लेकिन उनके अभिभावकों ने उनकी शिक्षा को महत्व दिया. मायावती कुछ समय तक दिल्ली के जेजे कॉलोनी स्थित एक स्कूल में शिक्षण कार्य करती रहीं, साथ ही UPSC की तैयारी भी करती थीं. उनका सपना IAS बनने का था. 1977 में दलित नेता कांशीराम से मुलाकात के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखने का निर्णय लिया.

राजा भैया ने मायावती पर लगाया था गंभीर आरोप

साल 2002 में यूपी की सत्ता तीसरी बार संभालते ही मायावती ने राजा भैया को उनके पिता उदय प्रताप सिंह और कजिन भाई अक्षय प्रताप सिंह समेत किडनैपिंग और धमकाने के आरोपों में जेल भेज दिया था. इसके साथ ही, मायावती ने रघुराज प्रताप सिंह पर प्रिवेंशन ऑफ टेररिज्म एक्ट (पोटा) भी लगा दिया था. हालांकि, महज एक साल बाद 2003 में जब तात्कालिक सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने सत्ता संभाली, तो उन्होंने राजा भैया पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया और उन्हें जेल से रिहा करवा दिया. जेल से बाहर आए राजा भैया से एक इंटरव्यू में जब यह पूछा गया कि क्या वे मायावती से बदला लेंगे, तो उनका जवाब था, "हम हिंसा में विश्वास नहीं रखते. उन्हें हाथ लगाकर अपने हाथ गंदे क्यों करना? मायावती खुद अपने कर्मों से खत्म हो जाएंगी."

2003 में मायावती बनीं थी बसपा प्रमुख

कांशीराम ने 2001 में मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. मायावती बसपा के कोर टीम का हिस्सा रहीं जब कांशीराम ने 1984 में इस पार्टी की स्थापना की थी. 1989 में वे पहली बार सांसद चुनी गईं और 15 दिसंबर 2001 को कांशीराम ने लखनऊ में एक रैली के दौरान उन्हें अपना उत्तराधिकारी बताया. इसके बाद 18 सितंबर 2003 को उन्हें बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया.

मायावती को कई बार मिली हार

मायावती ने 1984 में उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 1985 में बिजनौर और 1987 में हरिद्वार से चुनाव लड़ीं, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई. 1989 में उन्होंने बिजनौर से जीत दर्ज की, जहां उन्हें कुल 183,189 वोट मिले और हार-जीत का अंतर 8,879 वोट था.

1995 में हुआ था गेस्टहाउस कांड

महज 39 वर्ष की आयु में मायावती ने 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जो एक रिकॉर्ड था. उनका पहला कार्यकाल भाजपा के समर्थन से 3 जून 1995 से 18 अक्टूबर 1995 तक था. इसी दौरान 2 जून 1995 को चर्चित गेस्ट हाउस कांड हुआ था, जब समाजवादी पार्टी के कथित कार्यकर्ताओं ने मायावती पर हमला किया था.

लखनऊ और नोएडा में बनवाया पार्क

गेस्ट हाउस कांड के बाद मायावती ने दूसरी बार 1997 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और फिर तीसरी बार 2002 में मुख्यमंत्री बनीं. 2007 में उन्होंने पूर्ण बहुमत के साथ बसपा सरकार बनाई और चौथी बार मुख्यमंत्री बनीं. इस दौरान विपक्ष ने उनके द्वारा लखनऊ और नोएडा में पार्क बनाने के निर्णय पर कड़ी आलोचना की और नतीजा यह हुआ कि 2012 में उनकी सरकार गिर गई.

2012 के बाद से शुरू हुआ बसपा का डाउन फॉल

206 सीट जीतकर यूपी में सरकार बनाने वाली मायावती 2012 में महज 80 सीटों पर सिमट गईं. इस चुनाव के बाद बसपा का डाउन फॉल शुरू हो गया और 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा शून्य सीट पाई थी. फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा महज 19 सीटों पर सिमट गई. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सपा के साथ गठबंधन कर लिया.