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मणिपुर हिंसा: महिलाओं की न्यूड परेड, भयंकर संघर्ष, एक साल की घटनाएं रूह कंपा देंगी

Manipur Violence: मणिपुर में 3 मई 2023 को दंगे भड़के थे. मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भड़की हिंसा में 200 से ज्यादा लोग, सैकड़ों लोग घायल हुए और आपस में लोगों का भरोसा टूटा. आइए जानते हैं अब किस हाल में है मणिपुर.

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Manipur Violence
Courtesy: Social Media

पूर्वोत्तर का छोटा सा राज्य मणिपुर. मैदानी और पहाड़ी घाटियों में बंटे इस राज्य के दो समुदाय इतने हिंसक हो जाएंगे, कभी किसी ने नहीं सोचा था. पूर्वोत्तर में उग्रवाह हावी रहा है लेकिन इस दौर में भी ऐसी हिंसा, यह अकल्पनीय थी. 3 मई 2023 को मैतेई और कुकी, आरक्षण को लेकर ऐसे भिड़े कि 226 लोगों की मौत हो गई, 1500 से ज्यादा लोग घायल हो गए, 60,000 से ज्यादा लोगों को भागना पड़ा और 22 लापता हैं. यह सिर्फ एक साल की कहानी है. यह राज्य अब तक अस्थिर है. 

मैतेई और कुकी समुदाय के नेता अब बार-बार कह रहे हैं कि उन्हें विभाजित राज्य चाहिए, वे एक साथ नहीं रह सके. दशकों का भरोसा ऐसे टूटा है कि सरकार सोच नहीं पा रहा है कि अब करें तो करें क्या. ऐसा नहीं है कि मणिपुर को शांत छोड़ दिया गया है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा केंद्र सरकार के साथ इस राज्य के दोनों पक्षों के विवाद को सुलझाने के सूत्रधार बने हैं. पह यहां के लोग हैं जो किसी समझौते को तैयार नहीं है. 

कितने मरे, कितने घायल, कौन लोग हैं लापता?

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि महज 3 दिनों में 52 लोग मारे गए थे. कुल 226 लोगों की जान जा चुकी है, इनमें से 20 महिलाएं हैं. महिलाओं के न्यूड परेड को तो आप भूले नहीं होंगे. मणिपुर की हिंसा थमी तो है लेकिन कब सुलग जाए, इसके बारे में वहां की सरकार खुद भी नहीं जानती है. कम से कम 8 छोटे बच्चे इस जंग में मारे गए हैं. 13,247 घर टूट गए हैं. 28 से ज्यादा लोग लापता हैं जिन्हें या तो मार दिया गया है, या तो उनका अपहरण हुआ है. 

लापता लोगों में मासूम बच्चे हैं, जिनकी तस्वीरें लेकर उनकी माएं, दर-दर भटक रही हैं. मैतेई और कुकी, जो जहां बड़ी संख्या में है, वहीं अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहा है. कुकी और जोमी समुदाय के लोग इंफाल में रहे हैं, मैतेई समाज ज्यादातर चारुचंदपुर और कंगपोकपी गए हैं.कुछ मिजोरम और दूसरे राज्यों में भाग गए हैं. 

जैसे ही हिंसा भड़की थी कि कई जगहों पर सुरक्षाबलों ने लोगों को सुरक्षित जगहों पर जबरन पहुंचा दिया था. मैतेई समाज के वे लोग जो कुकी समाज के लोगों के साथ रहते हैं, उन्हें जबरन हटाकर चाचुरचंदनपुर, कांगकोपी और मोरेह भेजा गया था. वहीं कई लोग दूसरे राज्य मिजोरम में खुद ही भाग गए थे.  ऐसा नहीं है कि इसमें सिर्फ आम लोग मारे गए हैं. CRPF और पुलिस के कम से कम 16 जवान शहीद हुए हैं. मैतेई समाज के लोगों ने असम राइफल्स के लोगों को निशाना बनाया. कुकी ने मणिपुर पुलिस को निशाना बनाया. 

अब किस हाल में हैं लोग?

मैतेई और कुकी रह-रहकर एक-दूसरे से भिड़ते रहते हैं. हर महीने कहीं न कहीं हिंसा भड़कती है. जिन महिलाओं को अपने घरों से पलायन करना पड़ा है उनकी जिंदगी दोयम दर्जे की हो गई है. बच्चों का भविष्य अधर में है. घाटियों पर कुकी समुदाय से जुड़ा एक बड़ा तबका अफीम के अवैध धंधे में शामिल है. उग्रवादियों के हौसले ऐसे बढ़ गए थे कि उन्होंने जवानों से हजारों की संख्या में हथियार छीने. अब उम्मीद है कि राज्य एक बार फिर पटरी पर लौटेगा. आज मैतेई और कुकी की जंग के 1 साल हो रहे हैं तो पूरे राज्य में सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर आ गए हैं. म्यांमार बॉर्डर पर गश्ती बड़ा दी गई है.