menu-icon
India Daily

Manipur Violence: हट गया वो पैराग्राफ, जिसने ली 200 से ज्यादा जानें! Meitei community से जुड़े आदेश में अब क्या ?

Manipur Violence: मणिपुर हाईकोर्ट ने सरकार के एक साल पुराने उस आदेश को पलट दिया जिसमें मैतेई समुदाय को एसटी दर्जा देने की बात की गई थी. सरकार के इस निर्णय के बाद राज्य में व्यापक स्तर पर हिंसा भड़की थी.

India Daily Live
Edited By: India Daily Live
Manipur violence

Manipur Violence: मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को एसटी के दर्जा देने वाले आदेश को बदल दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि इस आदेश की वजह से राज्य हिंसा की आग में सुलगा था और अशांति का माहौल बना था. हाई कोर्ट ने बीते साल मार्च माह में ही कहा था कि सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी दर्जा देने के निर्णय पर विचार करना चाहिए. इस हिंसा के कारण  200 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. 

मणिपुर हिंसा में सरकार के इस आदेश से व्यापक स्तर पर हिंसा भड़क गई थी. सरकार के आदेश के बाद कुकी समाज में व्यापक स्तर पर आक्रोश पैदा हो गया था. रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा के समाप्त होने के बाद भी जमीन पर तनाव अब भी कायम है. आए दिन हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में,  सुप्रीम कोर्ट की एक संवैधानिक पीठ के आदेश का हवाला दिया, जिसमें अनुसूचित सूची में जनजातियों को शामिल करने और बाहर करने की प्रक्रिया निर्धारित की गई थी.  सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि अदालतें एसटी सूची में संशोधन, संशोधन या परिवर्तन नहीं कर सकती हैं. यह काम केंद्र सरकार का है और वह इसे संसदीय पद्धति के माध्यम से कर सकती है. 

क्या था मणिुपर हाईकोर्ट का आदेश

साल 2023 में मणिुपर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के निर्देश दिया था कि वह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर विचार करे. कोर्ट के इसी फैसले के बाद राज्य में हिंसा भड़की थी. इसके बाद हाईकोर्ट में एक पुनर्वाचर याचिका देयर कर कहा गया था कि  कोर्ट को अपने आदेश के पैराग्राफ 17(3) में संशोधन करना चाहिए. इसी पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपने ही फैसले में संशोधन किया है.

मणिपुर में मुख्य तौर पर तीन समुदाय के लोग हैं जिसमें नागा और कुकी आदिवासी समाज से आते हैं. ये दोनों समुदाय के लोग मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में बसे हुए हैं. वहीं, एक दूसरा समुदाय मैतेई हिंदू का है जिसकी आबादी 53 फीसदी के करीब है जो घाटी में रहते हैं. मणिपुर में मौजूदा कानून के हिसाब से मैतेई समुदाय के लोग सिर्फ घाटी में रह सकते हैं. इस समुदाय के लोगों को पहाड़ी  इलाकों में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं है. हालांकि, यह समुदाय चाहता है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाए. इसी मांग को देखते हुए कोर्ट ने पिछले साल कहा था कि राज्य सरकार को मैतेई समुदाय की इस मांग पर विचार करना चाहिए और फिर राज्य में हिंसा भड़क गई थी.