Election results: 'ओ स्त्री वोट देने आना...', महाराष्ट्र-झारखंड में गेमचेंजर बनीं महिलाएं, देश में बदला राजनीति का ट्रेंड

महिलाओं को सीधा फायदा पहुंचाने के लिए सरकार स्कीम लॉन्च कर रही हैं. इससे राजनीति लाभ मिलता है इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है. महाराष्ट्र और झारखंड़ के नतीजे इसकी गवाही दे रहे हैं.

Social Media
Gyanendra Sharma

देश की राजनीतिक पार्टियों का फोकस महिला वोट पर होता है. ऐसा इसलिए की देश की आधी आबादी महिलाओं की है. सरकार चाहे किसी की भी हो महिलाओं को ध्यान में रखकर योजना बनाती है. भारतीय राजनीति में महिला कल्याणकारी योजनाएं गेमचेंजर साबित हो रही हैं. महिला वोट जिस पार्टी के तरफ शिफ्ट हुई उसकी सरकार बनना तय है. 

मध्य प्रदेश में इस योजना की कामयाबी के बाद यही कहानी महाराष्ट्र और झारखंड में भी रिपीट हुई है. महिला का ध्यान में रखकर बनाई गई योजनाएं जीत का सीधा फैक्टर बन रही है. राज्यों भर में राजनीतिक दलों ने महिला-केंद्रित कल्याण कार्यक्रमों की घोषणा की है और उसे डिलीवर करते हुए महिला मतदाताओं का एक मजबूत समर्थन आधार बनाया है. झारखंड और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे ने फिर से ये साबित कर दिया है कि महिला आधारित राजनीति फायदे का सौदा है.  

महिलाओं पर फोकस कल्याणकारी योजनाएं

महिला वोट के महत्व को सबसे पहले मध्य प्रदेश की तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने समझा.  शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश की सरकार ने देश में पहली बार ऐसी स्कीम लॉन्च की थी जो लड़कियों और महिलाओं पर फोकस थी. इस स्कीम ने राजनीति को बदल कर रख दिया. चुनाव से कुछ दिन पहले लॉन्च की गई लाडली बहना योजना एमपी में गेम-चेंजर साबित हुई. महिला के हाथों में डायरेक्ट कैश पहुंचा जो वोट में करने के लिए प्रेरित किया. इस स्किम में बीजेपी ने कई राज्यों में लॉन्च किया और इसका फायदा साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. 

महिलाओं को सीधा फायदा पहुंचाने के लिए सरकार स्कीम लॉन्च कर रही हैं. इससे राजनीति लाभ मिलता है इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है.  महाराष्ट्र और झारखंड़ के नतीजे इसकी गवाही दे रहे हैं.

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र की महायुति गठबंधन ने महिला से जुड़ी योजना पर फोकस किया. महिला-केंद्रित योजनाओं को प्राथमिकता दी. इससे महिला की शिक्षा और कौशल विकाश लिए वित्तीय सहायता दी. लाड़की बहिन योजना गेम चेंजर साबित हुई.  इस योजना के तहत सरकार हर परिवार की महिला मुखिया को प्रतिमाह 1500 रुपये दे रही है. चुनाव से पहले सरकार ने रकम को 2500 तक बढ़ाने का वादा किया.  शिंदे सरकार ने वादा किया कि अगर वे फिर से जीत कर आएंगे तो हर परिवार की मुखिया महिला को हर महीने 2500 रुपया दिया जाएगा. इस ऐलान का फायदा शिंदे सरकार को मिलता दिख रहा है.महिलाएं बढ़ चढ़कर मतदान करने निकलीं. खासकर ग्रामीण महिलाएं वोट देने निकलीं और चुनाव के नतीजे बताते हैं कि महिलाओं ने महायुति सरकार को जमकर वोट किया.  

झारखंड 

महाराष्ट्र की तरह झारखंड में भी महिला वोटरों ने बाजी पलट दी है. जेएमएम की महिला कल्याणकारी योजना रंग दिखा रही है. मइयां सम्मान योजना की चर्चा हो रही है. इस योजना ने सोरन सरकार के लिए संजीवनी का काम किया है. इस योजना के तहत राज्य सरकार योग्य महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देती थी. हेमंत सरकार ने इस योजना की चार किश्त महिलाओं के खाते में ट्रांसफर कर दिया है. हेमंत सरकार ने स्कूल जाने वाली लड़कियों को मुफ्त साइकिल, सिंगल मदर को नगद सहायता, बेरोजगार महिलाओं को नगद सहायता देने की भी स्कीमें शुरू की है. मइयां योजना की देश में काफी चर्चा हुई. आदिवासी, गरीब महिलाओं को इसका लाभ मिला जिसके बदौलत  हेमंत सरकार राज्य में वापस सत्ता में लौट रही है.