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India Daily

अमेरिका में लगे रिश्वत के आरोपों के बीच महायुति ने गौतम अडाणी के बचा लिए 300 करोड़ डॉलर

Gautam Adani Dharavi project: महायुति ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव जीतकर गौतम अडाणी के धारावी प्रोजेक्ट को बचा लिया है. क्योंकि महाविकास अघाड़ी ने कहा था कि अगर उसकी सरकार बनती है तो वह इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा देगी.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Mahayuti saves Gautam Adani Dharavi project by wins Maharashtra assembly election
Courtesy: Social Media

Gautam Adani Dharavi project: महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) की महायुति ने शानदार चुनावी जीत दर्ज की. इस जीत ने न केवल राज्य में एक बार फिर से महायुति सरकार की वापसी कराई है बल्कि भारत के दिग्गज बिजनेसमैन गौतम अडानी को भी राहत दी है. हाल ही में अमेरिका में उनके ऊपर हजारों करोड़ रुपये के रिश्वत देने के आरोप लगे हैं. आरोपों के बाद शेयर मार्केट में भूचाल आया था. अडाणी समूह की कई कंपनियों के शेयर धड़ाम-धड़ाम नीचे गिरे थे. इतना ही नहीं महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों पर अडाणी के 300 करोड़ डॉलर दांप पर दें. विपक्ष के तीखे विरोध और अमेरिकी अदालत में चल रहे रिश्वतखोरी के आरोपों के बावजूद, अडानी समूह की 3 अरब डॉलर की यह परियोजना आगे बढ़ने के लिए तैयार है. दरअसल अडाणी समूह ने मुंबई की धारावी को आधुनिक शहर बनाने वाला प्रोजेक्ट लिया है. महाविकास अघाड़ी ने ऐलान किया था कि अगर वह सत्ता में आई तो अडाणी से यह प्रोजेक्ट छीन लेगी. लेकिन महायुति ने जीत हासिल करके गौतम अडाणी को राहत दी है. 

धारावी, जिसे एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी के रूप में जाना जाता है, मुंबई के दिल में स्थित है. लगभग 620 एकड़ में फैली इस जमीन को एक आधुनिक शहरी केंद्र में बदलने का लक्ष्य रखा गया है. अडानी समूह की योजना के तहत, यहां रहने वाले लगभग सात लाख पात्र निवासियों को 350 वर्ग फुट के फ्लैट मुफ्त में दिए जाएंगे. यह परियोजना न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क के तीन-चौथाई आकार की भूमि पर विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित करने का वादा करती है.

सत्तारूढ़ महायुति के समर्थकों का कहना है कि यह परियोजना झुग्गी पुनर्विकास के लिए एक वैश्विक मॉडल बन सकती है. इसके जरिए धारावी के निवासियों को बेहतर जीवन स्तर और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

विपक्ष ने परियोजना पर उठाए थे सवाल

इस परियोजना को लेकर विपक्ष ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वे इस परियोजना को रद्द कर देंगे और अडानी समूह से जमीन वापस ले लेंगे. विपक्ष का दावा है कि इस परियोजना में अडानी समूह को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे को बार-बार उठाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपने 'मित्र' गौतम अडानी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया. हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि परियोजना निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत उन्हें सौंपी गई है.

महायुति की जीत से अडानी को राहत

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया. इस जीत के साथ, धारावी परियोजना को रद्द किए जाने की आशंकाएं अब खत्म हो गई हैं. महायुति सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यह परियोजना झुग्गियों में रहने वाले लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है.

धारावी के लोगों ने किसको चुना अपना नेता?

हालांकि परियोजना के समर्थक इसे एक सकारात्मक कदम मानते हैं, धारावी के कुछ निवासियों और स्थानीय समूहों ने इसका विरोध किया है. उनकी चिंता है कि पुनर्विकास की प्रक्रिया में किसी को बेघर न किया जाए. वर्तमान योजना के तहत, केवल वे लोग पात्र होंगे जो 1 जनवरी 2000 से पहले धारावी में रह रहे हैं. बाकी निवासियों और व्यवसायों को अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है, जिसे लेकर विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं.

धारावी के कुछ लोग इस प्रोजेक्ट के खिलाफ है. शायद इसीलिए इस बार धारावी विधानसभा से महाविकास अघाड़ी की उम्मीदवार ज्योति गायकवाड़ को जीत मिली है. उन्होंने एकनाथ शिंदे की पार्टी के राजेश खंडारे को 23,459 के मार्जिन से हरा दिया है. 

रिश्वतखोरी के आरोपों ने दी अडाणी को टेंशन

गौतम अडानी पहले से ही अमेरिकी अदालत में रिश्वतखोरी के आरोपों का सामना कर रहे हैं. ऐसे में धारावी परियोजना को लेकर उठे विवाद उनके लिए एक और बड़ी चुनौती बन सकते थे. लेकिन महायुति की जीत ने फिलहाल इस परियोजना को पटरी पर बनाए रखा है.

क्या धारावी बदल पाएगा अपना चेहरा?

धारावी में लगभग 10 लाख लोग रहते हैं, जिनमें से 7 लाख पात्र माने गए हैं. यह प्रोजेक्ट केवल पुनर्विकास का नहीं, बल्कि धारावी की पहचान बदलने का एक प्रयास है. हालांकि, यह देखना बाकी है कि अडानी समूह और सरकार मिलकर स्थानीय लोगों की चिंताओं को कैसे दूर करेंगे.

धारावी प्रोजेक्ट सिर्फ एक निर्माण परियोजना नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक बदलाव का प्रतीक बन सकता है. लेकिन इसके लिए पारदर्शिता और निवासियों के हितों का ध्यान रखना आवश्यक होगा.