Lok sabha Election 2024: संसद का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है... ये बात सभी राजनीतिक दलों के दिमाग और सियासत के केंद्र में रहती है. करीब 3 महीने बाद देश में आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बजने वाला है. ऐसे में विपक्ष के I.N.D.I.A में हलचल तेज हो गई है. विपक्ष की चौथी और काफी अहम मानी जाने वाली दिल्ली बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा हुई. बात आती है कि यूपी में सपा, कांग्रेस और रालोद के बीच सीट शेयरिंग का फार्मूला क्या रहेगा?
कांग्रेस की गठबंधन कमेटी जल्द ही सीट शेयरिंग को लेकर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंपने वाली है. बताया गया है कि कांग्रेस की गठबंधन कमेटी में राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल, सलमान खुर्शीद, मुकुल वासनिक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश हैं.
उधर, उत्तर प्रदेश कांग्रेस भी यूपी में सीट शेयरिंग को लेकर अपनी रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को सौंप सकती है. ऐसे में समाजवादी पार्टी का रवैया गठबंधन के लिए कुछ परेशानी खड़ी कर सकता है.
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में विपक्षी गठबंधन से लोकसभा की सीटें मांगने नहीं, बल्कि देने के मूड में है. उधर, राष्ट्रीय लोकदल भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर अपनी दावेदारी की मांग कर रहा है. रालोद का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश जाट बाहुल्य है, इसलिए रालोद को यहां की सभी सीटें दी जाएं.
इनमें करीब 10 से 12 अहम सीटें हैं. उधर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव एटा से नवल किशोर शाक्य की पहले ही प्रत्याशी के रूप में घोषणा कर चुके हैं. इसके अलावा फैजाबाद, मैनपुरी, कन्नौज, आजमगढ़, बदायूं समेत कई जिलों में सपा अपने प्रत्याशी उतार सकती है.
यूपी में कांग्रेस की बात करें तो पुरे गढ़ रहे अमेठी और रायबरेली से दावा ठोक सकती है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में सीट शेयरिंग को लेकर सपा, कांग्रेस और रालोद में घमासान हो सकता है, क्योंकि मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सपा और कांग्रेस की तल्खी खुलकर सामने आ गई थी.
उधर, आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल भठिंडा में एक रैली के दौरान पंजाब की सभी सीटों पर अपनी जीत का आह्वान कर चुके हैं. हाल ही में पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कांग्रेस को लेकर कटाक्ष भी किया था. सीएम मान ने कहा था कि माताएं अपने बच्चों को दुनिया की सबसे छोटी कहानी 'एक थी कांग्रेस' सुनाएंगी.