प्रेम कौशिक, मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह की कानूनी लड़ाई लंबे समय से चली आ रही है. इस कानूनी लड़ाई (Shri Krishna Janmabhoomi Dispute Case) में दोनों ही पक्ष नए-नए साक्ष्य पेश कर रहे हैं. अब हिन्दू पक्ष के हाथ भी एक ऐसा साक्ष्य लगा है जिसे वो आने वाली कोर्ट की तारीख में पेश करेंगे. साक्ष्य ऐसा जिसमें एक क्रूर मुगल शासक ने अपने शासन काल में कभी हिन्दू मंदिर अपने राज्य में नहीं बनने दिया. लेकिन ऐसा क्या हुआ की इसी क्रूर मुगल शासक ने मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि को बनाने का आदेश दे दिया.
जन्मभूमि के पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया है कि उन्हें ओरछा रियासत के आधिकारिक लेखक वीर मैत्रेय द्वारा लिखित प्रतिष्ठा प्रकाश पुस्तक के 8वें वाल्यूम में श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण के साक्ष्य मिले हैं. इसमें सलीम (जहांगीर) और अनारकली (नादिरा बेगम उर्फ शर्फ शर्फून्निसा) की प्रेम गाथा के साक्ष्य हैं. लिखा गया है कि जब सलीम, जहांगीर के तोर पर गद्दी पर बैठे तो ओरछा राजा वीर सिंह बुंदेला को जान बचाने के अहसान के तौर पर कटरा केशव देव भूमि पर भव्य श्री कृष्ण मंदिर बनाने की अनुमति दी थी. इस पुस्तक के दस्तावेज 11 जनवरी 2024 को बतौर साक्ष्य हाईकोर्ट में पेश किए जाएंगे.
श्री कृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार अधिवक्ता महेंद्र प्रताप बताते हैं कि वीर सिंह बुंदेला के दरबारी वीर मैत्रेय ने साल 1623 में लिखी अपनी पुस्तक प्रतिष्ठा प्रकाश में जिक्र किया है कि अकबर को अपने बेटे सलीम और दासी अनारकली के बीच प्रेम का पता लग चुका था. अकबर के विरोध पर सलीम बगावत पर उतर आया. इस पर अकबर ने सलीम की हत्या का फैसला कर लिया था. अपनी जान बचाने को सलीम ओरछा रियासत जो बुंदेलखंड में है उसके राजा मधुकर बुंदेला के पास जा पहुंचा. यहां सलीम को शरण मिली.
अकबर को जब इसका पता चला तो उसने 1573 में अपनी सेना को ओरछा रियासत पर हमले के लिए भेजा, लेकिन सेना को हार का सामना करना पड़ा. जब सलीम जहांगीर के तौर पर गद्दी पर बैठे तो मधुकर बुंदेला के बेटे वीर सिंह बुंदेला ओरछा के राजा बन चुके थे. उन्होंने सलीम से कटरा केशव देव की भूमि पर भव्य मंदिर बनाने की मांग की. सलीम ने अपनी जान बचाने के अहसान की कीमत पर भगवान श्री कृष्ण के भव्य मंदिर का निर्माण करने की अनुमति देकर लौटाई. 1618 में वीर सिंह बुंदेला ने 33 लाख रूपए की लागत से भगवान श्री कृष्ण का भव्य मंदिर बनवाया, जो आगरा से दिखता था. 1670 में इसी मंदिर को औरंगजेब ने तोड़ा और मस्जिद बनवाई.
महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया की श्री कृष्ण जन्मस्थान पर बने ठाकुर केशव देव मंदिर को केवल मुगल शासक औरंगजेब ने ही नहीं तोड़ा. इससे पहले भी कई शासकों ने इसका विध्वंस किया. 1070 में अफगानिस्तान के सुल्तान महमूद गजनवी ने भी केशव देव मंदिर को तोड़ दिया था, लेकिन इससे पहले उसे युद्ध करना पड़ा था. जिनसे युद्ध किया वो उस वक्त महावन के राजा कुलचंद्र थे. कुलचंद्र की मृत्यु के बाद गजनवी मंदिर तोड़ पाया.