Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में 'मोदी का परिवारवाद' नारे को बीजेपी ने मुहिम बना लिया है. पीएम मोदी हर चुनावी रैली में राजनीति में परिवारवाद को लेकर विपक्ष पर हमले बोलते रहते हैं. बीजेपी राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद स्थापित करने वालों में कांग्रेस को मुख्य दल बताती है.लेकिन बीजेपी परिवार से अछूती नहीं है. मोदी के परिवार पर रार सीरीज में आज हम आपको छत्तीसगढ़ बीजेपी में परिवारवाद और वंशवाद के बारे में बताने जा रहे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का परिवार भाजपा की राजनीति में परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण है. डॉ रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह सांसद रह चुके हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में खैरागढ़ सीट पर विक्रांत सिंह को टिकट दिया गया था, जो पूर्व सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रमन सिंह के रिश्तेदार हैं.
कश्यप आदिवासियों के प्रखर नेता और बस्तर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद रह चुके हैं. आज हो इस दुनिया में नहीं हैं. बीजेपी के नेता स्वर्गीय बलिराम कश्यप के छोटे बेटे केदार कश्यप बीजेपी सरकार में मंत्री रहे. वहीं बड़े बेटे दिनेश कश्यप बस्तर के सांसद रह चुके हैं. उनके अन्य बेटे केदार कश्यप 2003 में विधायक और मंत्री बने. पिता के निधन के बाद हुए उपचुनाव में दिनेश कश्यप को चुना गया. दिनेश कश्यप की पत्नी वेदवती कश्यप जिला पंचायत बस्तर की अध्यक्ष रहीं. इस बार केदार कश्यप और दिनेश कश्यप विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं.
बिलासपुर में बीजेपी के पितृ पुरुष कहे जाने वाले लखीराम अग्रवाल के बेटे अमर अग्रवाल बीजेपी के बड़े नेता हैं. वे रमन सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बिंद्रानवागढ़ में बीजेपी के बलराम पुजारी विधायक थे. अब उनके बेटे डमरूधर पुजारी राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में गोंडवाना गणतंत्री पार्टी की कमान हीरा सिंह मरकाम के बाद उनके बेटे तुलेश्वर सिंह के पाल है. मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी की छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा भी विधानसभा चुनाव जीत चुकी है. उनके बेटे जीत गुहा नियोगी उनकी विरासत संभाल रहे हैं.