Lok Sabha Election 2024: बात 7 महीने पुरानी है, जब 2 जुलाई 2023 को अजित पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 8 अन्य विधायकों के साथ महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे. शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बनते ही अजित पवार ने एनसीपी पर अपना दावा ठोंक दिया था. 7 महीने तक लंबी लड़ाई के बाद तीन दिन पहले यानी 15 फरवरी को महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बड़ा फैसला देते हुए कहा कि अजित पवार गुट ही असली एनसीपी है. उन्होंने कहा कि अजित के पास 41 विधायकों का समर्थन है. इससे पहले चुनाव आयोग ने भी अजित गुट को असली एनसीपी बताया था.
चुनाव आयोग के बाद महाराष्ट्र के स्पीकर पर नाराजगी जताते हुए एनसीपी के संस्थापक शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख कर लिया. सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को देखने की बात कही है. इस बीच बड़ा अपडेट ये कि शरद पवार, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ जो हश्र हुआ उसे लेकर चिंतित हैं. अब सवाल ये कि महाराष्ट्र की राजनीति का पाकिस्तान की राजनीति से क्या कनेक्शन? आखिर इमरान खान की पार्टी का जो हश्र हुआ, उसे लेकर शरद पवार क्यों चिंतित हैं? आइए, समझते हैं.
सूत्रों के मुताबिक, NCP शरद पवार गुट के कांग्रेस में विलय का प्रस्ताव है, लेकिन उस पर अभी तक शरद पवार कोई फैसला नहीं कर पाए हैं. दरअसल, NCP पहले अपने बाकी विकल्प को खंगाल लेना चाहती है, इसलिए अभी तो वो इससे इनकार कर रही है, लेकिन अंदरखाने कांग्रेस से उसकी चर्चा जारी है. अब उस सवाल पर आते हैं कि आखिर शरद पवार को इमरान खान की पार्टी के साथ जो हश्र हुआ, उसका डर उन्हें क्यों सता रहा है.
दरअसल, पाकिस्तान में 8 फरवरी को हुए आम चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले इमरान खान की पार्टी का चुनाव चिन्ह 'बल्ला' छीन लिया गया था, जिसके बाद आम चुनाव में इमरान की पार्टी के नेताओं को बिना सिंबल के निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरना पड़ा था, जिसका खामियाजा भी इमरान खान को भुगतना पड़ा. अब इसी तरह का डर शरद पवार को भी सता रहा है. इसके कई कारण भी हैं, जिनमें...
1. अगर शरद गुट को सिंबल अलॉट नहीं होता है तो उसके टिकट पर लड़ने वाले लोकसभा के उम्मीदवारों को अलग अलग सिंबल पर लड़ना पड़ेगा. इस सूरत में संभावना है कि जैसा पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी का हश्र हुआ, कुछ ऐसा ही शरद गुट के साथ भी न हो जाए.
2. अगर शरद गुट को सिंबल देर से मिलता है तो उसे अपने मतदाताओं तक पहुंचाने में दिक्कत होगी, जबकि घड़ी और एनसीपी के नाम अजीत पवार के पास रहेगा. इसमें भी शरद गुट को नुकसान की आशंका है.
ऐसे में सूत्रों के मुताबिक, एनसीपी शरद गुट की इस समस्या को देख कांग्रेस ने दो ऑफर दिए हैं..
1. या तो अपने उम्मीदवार को कांग्रेस के चुनाव निशान पर लड़ा लें.
2. या फिर एनसीपी को मर्ज कर लें.
अब शरद पवार गुट कांग्रेस को दोनों ऑफर पर विचार कर रहा है. इस पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि सुप्रिया सुले और शरद पवार गुट के तमाम नेताओं का मानना है कि अभी एनसीपी शरद पवार गुट को कांग्रेस में विलय करने के बजाय शरद पवार के नाम और निशान के साथ लड़कर सहानुभूति मिलेगी, इसलिए पहले वो गठबंधन में लेकिन अपने सिंबल और शरद पवार के नाम पर सहानुभूति का फायदा लेने के मूड में हैं. लेकिन अगर निशान नहीं मिला या ज़्यादा देरी हुई तो कांग्रेस के ऑफर पर फैसला करेंगे.
रिपोर्ट- अमर सिंह