Ladakh Violence: लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें पुलिस कार्रवाई में पांच लोगों की मौत हो गई. केंद्र सरकार ने इस हिंसक आंदोलन के पीछे कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है. गृह मंत्रालय ने कहा कि सोनम वांगचुक ने अरब स्प्रिंग और नेपाल के Gen-Z आंदोलन का जिक्र कर उकसाने वाला भाषण दिया.
गृह मंत्रालय ने कहा कि बातचीत अच्छी चल रही थी, लेकिन कुछ लोग प्रगति से नाखुश थे. हालांकि, वांगचुक ने हिंसा की निंदा की और अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी, लेकिन सरकार का आरोप है कि उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने की गंभीर कोशिश नहीं की.
सोनम वांगचुक पर फोड़ा हिंसा का ठीकरा
लद्दाख की शांत वादियां बुधवार को हिंसा की आग में जल उठीं, जब राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन उग्र हो गया. केंद्र सरकार ने इस हिंसा का ठीकरा कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर फोड़ा, जिनके भड़काऊ बयानों को भीड़ को उकसाने का कारण बताया. यह घटना न केवल लद्दाख की मांगों को बल्कि क्षेत्र में सामाजिक शांति को भी नए सिरे से जांच के दायरे में ला रही है. क्या वास्तव में यह हिंसा सुनियोजित थी, या यह लोगों की निराशा का परिणाम थी?
हिंसा के लिए वांगचुक जिम्मेदार
गृह मंत्रालय ने दावा किया कि वांगचुक के अरब स्प्रिंग और नेपाल के Gen-Z आंदोलन जैसे उल्लेखों ने भीड़ को भड़काया. 24 सितंबर को सुबह 11:30 बजे, प्रदर्शनकारी भूख हड़ताल स्थल से निकलकर एक राजनीतिक दल (बीजेपी) के कार्यालय और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर पर हमला करने पहुंचे. भीड़ ने आगजनी की और पुलिस वाहन को नष्ट कर दिया. मंत्रालय का कहना है कि वांगचुक ने स्थिति को नियंत्रित करने की बजाय भूख हड़ताल खत्म की और गांव लौट गए.
गृह मंत्रालय ने कहा कि लद्दाख की मांगों पर बातचीत सकारात्मक थी. उच्चस्तरीय समिति और उप-समिति के साथ कई औपचारिक और अनौपचारिक बैठकें हुईं. अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% किया गया, भोटी और पुर्गी को आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला, और 1,800 नौकरियों की भर्ती शुरू हुई. मंत्रालय का आरोप है कि कुछ लोग इस प्रगति से नाखुश थे और उन्होंने बातचीत को तोड़ने की कोशिश की.
पुलिस की गोलीबारी में 5 लोगों की मौत
मंत्रालय के अनुसार, उग्र भीड़ ने 30 से अधिक पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों पर हमला किया, जिसके जवाब में पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी. इस कार्रवाई में पांच लोगों की मौत की खबर है, हालांकि कुछ सूत्र चार की पुष्टि करते हैं. दोपहर 4 बजे तक स्थिति नियंत्रण में थी. मंत्रालय ने पुराने भड़काऊ वीडियो न फैलाने की अपील की, लेकिन यह घटना लद्दाख में तनाव को उजागर करती है.
सरकार ने दिया आश्वासन
सरकार ने लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का वादा दोहराया है. 25 और 26 सितंबर को नेताओं के साथ बैठकें और 6 अक्टूबर को उच्चस्तरीय समिति की चर्चा तय है लेकिन हिंसा ने स्थानीय लोगों और सरकार के बीच विश्वास की खाई को गहरा कर दिया है. यह सवाल उठता है कि क्या लद्दाख की मांगें शांतिपूर्ण बातचीत से पूरी होंगी, या यह तनाव और बढ़ेगा?