Kolkata News: कोलकाता के नरेंद्रपुर इलाके में एक 22 वर्षीय युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है. घटना काली पूजा के अगले दिन की है, जब एक युवक, जिससे पीड़िता की मुलाकात सोशल मीडिया पर हुई थी, ने उसे बहला-फुसला कर अपने साथ पंडाल घूमने के लिए आमंत्रित किया. युवक ने उसके पेय में नशीला पदार्थ मिलाया और उसे अचेत कर दिया, जिसके बाद उसने और उसके दोस्तों ने मिलकर दुष्कर्म किया.
यह घटना 1 नवंबर को शुरू हुई जब पीड़िता, जो दक्षिण कोलकाता के पूर्व जादवपुर पुलिस स्टेशन क्षेत्र की निवासी है, अपने घर से पंडाल घूमने के लिए निकली थी. पीड़िता ने आरोप लगाया है कि युवक, जिसने उससे फेसबुक पर मित्रता की थी, ने उसे गरिया रेलवे स्टेशन पर मिलने के लिए बुलाया. वहाँ से उसने उसे नरेंद्रपुर के ढलुआ इलाके में स्थित अपने एक घर पर ले गया.
पुलिस के अनुसार, आरोपी ने युवती को पहले एक सॉफ्ट ड्रिंक दिया जिसमें उसने नशीला पदार्थ मिला दिया था. इसे पीते ही युवती अचेत हो गई, और फिर आरोपी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया. पीड़िता के होश में आने के बाद उसके परिवारवालों ने उसे एम. आर. बंगुर अस्पताल में भर्ती करवाया.
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद पीड़िता ने नरेंद्रपुर पुलिस स्टेशन में इस घटना की शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान राजीव सरदार और राकेश नस्कर के रूप में हुई है. इस घटना में कथित तौर पर चार लोग शामिल थे, और पुलिस अन्य दो आरोपियों की तलाश कर रही है.
पुलिस ने बताया कि पीड़िता का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया जाएगा और अपराध स्थल से जुटाए गए साक्ष्यों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा. इस मामले में पुलिस आरोपी पर सामूहिक दुष्कर्म और बंदी बनाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर चुकी है. पुलिस ने घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करना शुरू कर दिया है ताकि घटना का पूरा क्रम समझा जा सके और आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाया जा सके.
मंगलवार को आरोपियों के परिवारों ने दावा किया कि उनके बेटों को झूठे मामले में फंसाया गया है, लेकिन पुलिस का कहना है कि वे इस मामले की पूरी जांच कर रहे हैं और सभी साक्ष्य एकत्रित किए जा रहे हैं. पुलिस की कोशिश है कि मामले में किसी भी प्रकार की कमी न रह जाए ताकि आरोपियों के खिलाफ मजबूत आरोपपत्र तैयार किया जा सके.
पीड़िता की पहचान गोपनीय रखी गई है ताकि उसके अधिकारों का सम्मान किया जा सके और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन हो सके. यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों में पीड़िता की पहचान उजागर न करना अनिवार्य है.