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लिव इन-लव मैरिज, गांव, गुवांढ और गोत्र में ही होगी शादी? खाप की हरियाणा सीएम से मांग पर अब उठ रहे सवाल

Haryana to Amend laws: हरियाणा में 'हॉरर किलिंग्स' की बढ़ती घटनाओं के बीच खाप नेताओं ने मुख्यमंत्री नायाब सैनी से मिलकर उनको एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम में 'हमारे क्षेत्र, विशेष रूप से उत्तर भारत की मान्यताओं को नजरअंदाज किया गया है. इतना ही नहीं खाप पंचायत ने हरियाणा सीएम से राज्य में लिव इन और गांव, गुवंध और गोत्र तक सीमित शादी को लेकर नियमों में भी बदलाव की मांग की है.

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Haryana CM
Courtesy: Social

Haryana to Amend laws: हरियाणा में हाल ही में हुईं "हॉरर किलिंग्स" की घटनाओं के बाद, खाप पंचायतों (पारंपरिक जाति-आधारित परिषदों) के प्रतिनिधियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की और हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग की. यह संशोधन उन शादियों को रोकने के लिए किया जा रहा है जो एक ही गांव या गोत्र (वंश) से या पड़ोसी गांवों से होती हैं.

मुख्यमंत्री को सौंपे गए एक ज्ञापन में, खापों ने लव मैरिज के रजिस्ट्रेशन के लिए माता-पिता की सहमति, महिलाओं की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष रखने और लिव-इन रिलेशनशिप पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है. 

सीएम से मिले हरियाणा खाप के प्रतिनिधि

हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक अशोक छाबड़ा ने पुष्टि की कि खाप नेताओं ने ज्ञापन सौंपा है और सैनी ने उनकी मांगों की कानूनी रूप से जांच कराने का वादा किया है.

अशोक मलिक, मलिक खाप के प्रमुख, राजपाल कलकल, कलकल खाप के प्रमुख, जयंत हुड्डा, हुड्डा खाप के प्रवक्ता, फूल सिंह पेटवाड़, सतरोल खाप के प्रवक्ता, राजपाल कडयान, कडयान खाप के प्रमुख, ओम प्रकाश नंदा, नंदल खाप के प्रमुख, जैभगवान रुहल, रुहल खाप के प्रमुख और धर्मपाल दलाल, दलाल खाप के नेता, उन लोगों में से थे जिन्होंने सर्व जाति सर्व खाप के बैनर तले सैनी से मुलाकात की और इस मामले में उनका हस्तक्षेप मांगा.

खाप के लिए 3 जी जरूरी, तुरंत चाहते हैं बैन

मलिक ने मुलाकात के बाद ThePrint से संपर्क करने पर कहा, "हम चाहते हैं कि हरियाणा सरकार सिर्फ हरियाणा राज्य के लिए हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन करे क्योंकि यह एक राष्ट्रीय अधिनियम है और कुछ अन्य राज्यों की स्थिति हरियाणा जैसी नहीं हो सकती है."

उन्होंने कहा कि खाप नेताओं ने सीएम को बताया था कि राज्य के लोगों के लिए तीन ‘जी’ - गांव (गांव), गुवांढ (पड़ोसी गांव) और गोत्र - बहुत महत्वपूर्ण हैं, और इनके बीच विवाह सख्त मना हैं. हालांकि, हिंदू विवाह अधिनियम ऐसी शर्तों को मान्यता नहीं देता है और कानून के तहत वर्जित रिश्ते बहुत सीमित हैं.

हॉरर किलिंग रोकने के लिए जरूरी बदलाव

मलिक ने आगे कहा कि खाप नेताओं को पता चला है कि लड़कियों की विवाह योग्य आयु को मौजूदा 18 वर्ष से बढ़ाने का प्रस्ताव है, और वे मौजूदा आयु सीमा को बनाए रखना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले महीने हरियाणा में पारिवारिक सम्मान की आड़ में हुई हत्याओं की घटनाओं से हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन की तुरंत जरूरत का पता चलता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा न करने पर युवा जोड़ों द्वारा सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन और उनके परिवारों द्वारा गुस्से में उठाए गए हताश कदम जारी रहेंगे.

लिव इन रिलेशन और लव मैरिज पर उठी बैन की मांग

हरियाणा में खाप पंचायत पिछले कई सालों से लिव-इन रिलेशनशिप के विरोध में मुखर रही हैं और लंबे समय से हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग कर रही हैं. उनकी आपत्तियां पारंपरिक और सांस्कृतिक मान्यताओं में निहित हैं, जो विवाह को एक पवित्र संस्था के रूप में प्राथमिकता देती हैं और लिव-इन रिलेशनशिप को नैतिक रूप से अस्वीकार्य मानती हैं.

वे प्रेम विवाहों का भी विरोध कर रहे हैं, खासकर एक ही गांव या पड़ोसी गांवों के निवासियों, एक ही गोत्र के लोगों या अलग-अलग जातियों के लोगों के बीच विवाह का, खाप पंचायतों का कहना है कि हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन से सामाजिक बुराइयों और सामाजिक मानदंडों के हनन को रोका जा सकेगा. उनका मानना है कि इससे पारिवारिक कलह और हत्याओं जैसी घटनाओं में कमी आएगी.

खाप पंचायतों की मांगों पर बहस

खाप पंचायतों की मांगों ने हरियाणा में बहस छिड़ दी है. कुछ लोगों का मानना है कि इन मांगों को लागू करना असंवैधानिक होगा क्योंकि इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन होगा और जाति व्यवस्था को मजबूती मिलेगी. वहीं, दूसरी ओर, कुछ लोग खापों की चिंताओं को समझते हैं और उनका कहना है कि युवा पीढ़ी तेजी से बदलती दुनिया में अपनी सांस्कृतिक जड़ों से दूर जा रही है.

समाज सुधारक और कार्यकर्ता खाप पंचायतों के हस्तक्षेप का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि ये पंचायतें समानाधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं. यह भी चिंता जताई जा रही है कि इससे जाति व्यवस्था को बल मिलेगा और अंतर्जातीय विवाह को और मुश्किल बना दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कई मामलों में जाति आधारित भेदभाव को असंवैधानिक बताया है.

खाप की जरूरत पर भी उठ रहे सवाल

दूसरी ओर, ग्रामीण समुदायों के कुछ लोग खापों की भूमिका का समर्थन करते हैं. उनका मानना है कि खापें सामाजिक सद्भाव बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और युवाओं को परंपराओं से जोड़े रखती हैं. उन्हें लगता है कि तेजी से बदलते परिवेश में युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से कटती जा रही है. ऐसे में खापें सामाजिक मूल्यों को बनाए रखने का काम करती हैं.

हरियाणा सरकार की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है. मुख्यमंत्री ने खापों की मांगों की जांच का वादा किया है, लेकिन यह देखना होगा कि वह किस तरह का रुख अपनाते हैं. खाप पंचायतों की मांगों को लेकर बहस जारी है. यह एक जटिल मुद्दा है, जिसमें सामाजिक परंपराओं, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधानिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाना होगा.