केरल के एक कॉलेज में नमाज अदा करने से मना करने पर विवाद हुआ. कॉलेज में नमाज अदा करने के लिए कुछ छात्रों द्वारा स्थान की मांग और कॉलेज प्रशासन द्वारा इनकार करने से विवाद पैदा हो गया है. भाजपा ने रविवार को छात्रों की मांग के लिए चरमपंथी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया. दरअसल, यह मामला शुक्रवार को शुरू हुआ जब मुस्लिम समुदाय की छात्राओं के एक समूह ने मुवत्तुपुझा के निर्मला कॉलेज के अधिकारियों से नमाज अदा करने के लिए कमरा की मांग की. जब मांग पूरी नहीं हुई तो अन्य छात्र भी इसमें शामिल हो गए और उन्होंने कथित तौर पर कॉलेज के प्रिंसिपल फादर कन्नडन फ्रांसिस का घेराव किया.
फादर फ्रांसिस ने बताया कि कॉलेज को शिकायत मिली थी कि लड़कियों का एक समूह कॉलेज के कॉमन रूम का इस्तेमाल नमाज के लिए कर रहा था. कॉलेज से सिर्फ़ 200 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद है. कॉलेज के लड़के दोपहर में नमाज़ के लिए मस्जिद जाते हैं. सभी शैक्षणिक संस्थानों में इसकी अनुमति है और हमने भी इसकी अनुमति दी है. हालांकि, लड़कियां नमाज़ के लिए कॉलेज के कमरे का इस्तेमाल करना चाहती थीं, उनका कहना था कि उन्हें मस्जिद में जाने की अनुमति नहीं है. हमने उन्हें बताया है कि कॉलेज नमाज़ के लिए कमरा नहीं दे सकते.
प्रिंसिपल ने कहा कि जिन छात्रों ने यह मांग की है, वे किसी विशेष छात्र संगठन से संबंधित नहीं हैं. रविवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि कुछ लोग हिंदुओं और ईसाइयों द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में परेशानी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, इस मांग के पीछे चरमपंथी तत्व हैं. वामपंथी और कांग्रेस इसका समर्थन कर रहे हैं. क्या मुस्लिम प्रबंधन के तहत आने वाले कॉलेज अन्य धार्मिक समुदायों के छात्रों को प्रार्थना के लिए परिसर देते हैं? अगर मुस्लिम समूह कॉलेजों में परेशानी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, तो भाजपा उन्हें सुरक्षा देगी.
राज्य की सत्तारूढ़ माकपा की छात्र शाखा, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की छात्र शाखा, मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (एमएसएफ) ने इस विवाद से खुद को अलग कर लिया तथा बयान जारी कर कहा कि उनके कार्यकर्ता इस मांग में शामिल नहीं हैं.
एसएफआई की राज्य अध्यक्ष के अनुश्री ने कहा कि संगठन परिसरों में धर्मनिरपेक्षता सुनिश्चित करने के लिए खड़ा है. अगर परिसर किसी विशेष समुदाय की धार्मिक प्रथाओं की अनुमति देता है, तो ऐसा कदम कॉलेज परिसरों की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को प्रभावित करेगा, उन्होंने कहा, "हम निर्मला कॉलेज में उठाई गई मांग से जुड़े नहीं हैं.