'रोज एक सेब लेकिन किस कीमत पर', कश्मीर में केमिकल के संपर्क में आने से ब्रेन ट्यूमर में बढ़ोतरी
कश्मीर के फायदेमंद सेब जो कि लोगों में खासकर लोकप्रिय हैं, उसके बारे में एक रिसर्च सामने आयी है. इस रिसर्च से कई लोगों को चौंका कर रख दिया.
नई दिल्ली : कश्मीर के फायदेमंद सेब जो कि लोगों में खासकर लोकप्रिय हैं, उसके बारे में एक रिसर्च सामने आयी है. इस रिसर्च से कई लोगों को चौंका कर रख दिया. देशभर में खाए जाने वाला ये सेब आपकी सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक हो सकता है.
ब्रेन ट्यूमर के मरीजों के डेटा का एनालिसिस
बता दें कि 2005 से 2008 के बीच 432 ब्रेन ट्यूमर के मरीजों के डेटा का एनालिसिस करने पर रिसर्च में कीटनाशकों के संपर्क और प्राइमरी मैलिग्नेंट ब्रेन कैंसर के बीच एक "काफी मजबूत और संभावित" लिंक पाया गया. कश्मीर के फायदेमंद सेब के बागों में दशकों से इस्तेमाल होने वाले खतरनाक कीटनाशकों की वजह से किसानों और निवासियों में मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिसके बाद इस मामले की तुरंत आधिकारिक समीक्षा की जा रही है.
मेडिकल रिसर्च को फिर से सामने लाया
जम्मू और कश्मीर विधानसभा की पर्यावरण पर हाउस कमेटी द्वारा की गई इस जांच ने खतरनाक, लेकिन लंबे समय से नजरअंदाज किए गए मेडिकल रिसर्च को फिर से सामने लाया है. कमेटी अब क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को दूर करने के लिए तत्काल नीतिगत कार्रवाई पर जोर दे रही है.
पूरी घाटी में स्वास्थ्य चिंता
कमेटी की जांच शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन पर आधारित है. 2005 से 2008 के बीच 432 ब्रेन ट्यूमर के मरीजों के डेटा का एनालिसिस करने पर रिसर्च में कीटनाशकों के संपर्क और प्राइमरी मैलिग्नेंट ब्रेन कैंसर के बीच एक "काफी मजबूत और संभावित" लिंक पाया गया.
कीटनाशकों के संपर्क में आने का इतिहास
ट्यूमर मुख्य रूप से बारामूला, अनंतनाग, बडगाम, शोपियां और कुपवाड़ा के फल उगाने वाले जिलों में केंद्रित थे. खास बात यह है कि अध्ययन में पाया गया कि इन बागों वाले इलाकों के 90% ब्रेन कैंसर के मरीजों का कीटनाशकों के संपर्क में आने का इतिहास था. इन सभी मामलों में हाई-ग्रेड, आक्रामक ट्यूमर थे, और संपर्क में आए समूह में मृत्यु दर 12% थी.
सुरक्षा उपकरणों की कमी
वैज्ञानिकों ने बताया कि सुरक्षा उपकरणों की ज्यादा कीमत के कारण बहुत कम बाग के मजदूर इसे खरीद पाते हैं, जिससे पुरानी खांसी, चकत्ते और जलन जैसी स्वास्थ्य समस्याएं बड़े पैमाने पर फैल रही हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि दस्ताने, चश्मे और मास्क की कमी से केमिकल के संपर्क में आने का खतरा काफी बढ़ जाता है.
बड़ी चुनौती पेश करते हैं नतीजे
कश्मीर के अरबों रुपये के सेब उद्योग को चलाने वाले समुदाय के स्वास्थ्य की रक्षा करना, जो भारत के 70% से ज्यादा सेब की सप्लाई करता है और साथ ही घाटी की नाज़ुक आर्थिक रीढ़ को भी कमज़ोर न होने देना.