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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेट एयरवेज के फाउंडर को मिली राहत, कोर्ट ने नरेश गोयल को दी सशर्त जमानत

Jet Airways news: जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल को मुंबई हाईकोर्ट ने राहत देते हुए मेडिकल आधार पर दो महीने की अंतरिम जमानत दी है जिसके लिए उन्हें एक लाख रुपए की बेल देनी होगी.

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Naresh Goyal

Jet Airways news: मनी लॉन्ड्रिंग  के मामले में जेल पहुंचे जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल को आखिरकार कोर्ट की तरफ से थोड़ी राहत मिल ही गई है. मुंबई हाई कोर्ट ने नरेश गोयल को मेडिकल के आधार पर 2 महीने की सशर्त जमानत देने का फैसला सुनाया है.

मुंबई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एनजे जमादार वाली बेंच ने नरेश गोयल को एक लाख रुपए की बेल देने के साथ ही बिना स्पेशल कोर्ट की परमिशन के मुंबई छोड़ने के फैसले पर भी बैन लगाया है. इतना ही नहीं कोर्ट ने नरेश गोयल को अपना पासपोर्ट भी जमा कराने का आदेश दिया है.

ईडी ने किया था जमानत का विरोध

उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई हाईकोर्ट से नरेश गोयल को अंतरिम जमानत देने का विरोध किया था. ईडी ने याचिका के खिलाफ अपनी दलील पेश करते हुए कहा था कि अगर बात मेडिकल की है तो उनके निजी हॉस्पिटल में रहने की समय सीम को एक महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है.

इससे पहले नरेश गोयल ने अंतरिम याचिका दायर कर खुद और पत्नी के कैंसर से पीड़ित होने का हवाला दिया था और उनकी मेडिकल स्थिति और मानवीयता के आधार पर अंतरिम जमानत मांगी थी.

स्पेशल कोर्ट ने याचिका को किया था खारिज

गौरतलब है कि नरेश गोयल की इस याचिको को स्पेशल कोर्ट ने बीते फरवरी में खारिज करते हुए उनकी पसंद के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती होकर इलाज कराने की परमिशन दी थी, जिसके बाद नरेश गोयल ने मुंबई हाईकोर्ट का रुख कर फिर से जमानत याचिका दायर की थी.

कब और किस मामले में हुए थे गिरफ्तार

आपको बता दें कि ईडी ने Canara बैंक की ओर से जेट एयरवेज को दिए गए 538.62 करोड़ रुपए के साथ धांधली और मनी लॉन्ड्रिंग करने के आरोप में सितंबर 2023 को गिरफ्तार किया था. ईडी ने जब इसके बाद चार्जशीट फाइल की तो गोयल की पत्नी अनीता गोयल को भी नवंबर 2023 में अरेस्ट कर लिया गया.

अनीता की उम्र और मेडिकल अर्जेंसी को देखते हुए स्पेशल कोर्ट ने उसी दिन ही जमानत दे दी थी लेकिन नरेश गोयल को हिरासत में रखने का फैसला सुनाया था. स्पेशल कोर्ट ने कहा था कि जब गोयल को उनकी पसंद के अस्पताल से इलाज मुहैया कराया जा रहा है तो उन्हें जमानत देने का तर्क समझ नहीं आता है.