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हजारों जवान तैनात, कई स्तर की मॉनिटरिंग, आखिर कहां से आतंकियों को मिलते हैं हथियार? पूर्व सैन्य अधिकारी ने सब बता दिया

Jammu and Kashmir: भारत में आतंकी घुसपैठ की खबरें नई नहीं है. बॉर्डर पर जवानों की तैनाती, सीमावर्ती गांवों में पुलिस की चौकियां और तगड़े खबरियों के बाद भी पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ होती है. आंतकियों के पास अमेरिकन हथियार हैं, चाइनीज हेडसेट हैं, जिससे वे अपने खतारनाक मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) देवेंद्र प्रताप पांडेय ने इन सब सवालों का जवाब दिया है.

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Edited By: India Daily Live
Jammu Kashmir
Courtesy: ANI

जम्मू और कश्मीर में आतंकियों के पास से ऐसे-ऐसे हथियार बरामद हो रहे हैं, जिनके बारे में सुनकर आप कांप जाएंगे. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और रूस जैसे देशों के अत्याधुनिक हथियार इन आतंकियों के पास हैं. उनके पास चीन के सेटेलाइट फोन भी उन्हें हासिल हो जा रहा है. वे जम्मू और कश्मीर में रहते हैं लेकिन दुनिया के अत्याधुनिक हथियारों तक, उनकी आसानी से पहुंच है. आखिर उन तक हथियार पहुंचता कैसे है. यही सवाल, जब एक इंटरव्यू में भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडेय से किया गया तो उन्होंने जो जवाब दिया, वह आपको हिला देगा.

लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडेय (रि.) ने कहा, 'ये हथियार पूरी दुनिया से आ रहे हैं. जो लोग जम्मू कश्मीर की भौगोलिक परिस्थितियों से जो वाकिफ हैं, उन्हें पता है कि भले ही आप 7 दिन 24 घंटे सीमाओं पर नजर रखें लेकिन कोई बाउंड्री बनाकर वहां घुसपैठ नहीं रोकी जा सकती है. आतंकी भी आधुनिक हो रहे हैं, कहीं न कहीं से चूक होती है और उनके पास हथियार पहुंच जाते हैं.'

ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे घुसपैठ रोकी जा सकी. जब उनसे ये सवाल किया गया कि क्या तारबंदी मजबूत उपाय होगी तो उन्होंने जवाब दिया कि नहीं. लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडेय (रि.) ने कहा, 'पाकिस्तान से पहले जहां हजारों की संख्या में आतंकी घुस आते थे, अब ऐसा नहीं हो रहा है. अब 2 या 3 घुसपैठ हो रही है. घुसपैठ के आंकड़े गिर गए हैं. तब एक ट्रेंड वैश्विक तौर पर आतंक का हो गया था, अब वह भी गिरा है. अब तो लोग आना भी नहीं चाहते हैं.'

'मत आइए यहां, अब लोग नहीं चाहते हैं जंग'

चिनार कॉर्प्स कमांड के कमांडर रहे  लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडेय (रि.) ने कहा, साल 2004 से ही आंकड़े घटे हैं. 2012 से 13 के बीच आतंकी यहां आना ही नहीं चाहते थे. पाकिस्तानियों को अपने चेक की रकम घटानी पड़ी. अब वे कहने लगे कि आप वापस जाइए, इधर मत आइए. अब लोग जंग नहीं चाहते.'

कैसे सरकार के खिलाफ लोगों का कम हुआ गुस्सा?

 लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडेय (रि.) ने बताया, 'एक जमाना था जब लोग आतंकवादी बनते थे. उनके खिलाफ केस दर्ज होते थे और वे उससे बाहर नहीं आ पाते थे. उन्हें पता नहीं था कि आजादी के नाम पर वे धर्म के लिए जिहादी बन रहे हैं. उनकी आजादी धार्मिक है. एक बार केस दर्ज हो जाए फिर जिंदगी तबाह. धीरे-धीरे लोगों को लगने लगा कि सरकारें बदल रही हैं, हिंसा से समाधान नहीं निकलेगा और सही रास्ता अमन का है. नॉर्थ कश्मीर के लोगों ने ही सबसे ज्यादा त्रासदी झेली है. अब यहां कट्टरपंथ थम रहा है. यही वजह है कि लोग अब यहां आतंक को सपोर्ट नहीं करते हैं.'