देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में यूपीएससी पास करने वाले नए अधिकारियों को संबोधित करते हुए अपने सिविल सेवा परीक्षा के अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि 21 मार्च 1977 को, जब देश में इमरजेंसी हटी थी, ठीक उसी दिन उनका इंटरव्यू था. इस ऐतिहासिक दिन का उनके करियर पर खास प्रभाव पड़ा.
एस जयशंकर ने बताया कि उनका इंटरव्यू शाहजहां रोड स्थित दफ्तर में सुबह सबसे पहले हुआ था. वह दिन खास इसलिए भी था क्योंकि उसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल समाप्त हुआ था. उन्होंने कहा कि उन्होंने जेएनयू में राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की थी और 1977 के चुनाव में उन्होंने भाग भी लिया था. इसलिए जब उनसे उस चुनाव के बारे में सवाल पूछा गया, तो वो सहज और आत्मविश्वास से भरे हुए जवाब दे पाए.
जयशंकर ने बताया कि इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह महसूस किया कि सामने बैठे पैनलिस्ट देश की बदलती राजनीति और जनता की भावना से कितने अनजान थे. उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उन लोगों को चुनाव के नतीजों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. इस अनुभव ने उन्हें यह सिखाया कि प्रभावशाली लोग अक्सर एक ‘बबल’ में रहते हैं और ज़मीन की हकीकत से कटे होते हैं. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सीखा कि कैसे दबाव की स्थिति में बिना किसी को नाराज़ किए संवाद किया जाए.
कार्यक्रम में जयशंकर ने नए अफसरों से कहा कि अब जब वे सेवा में प्रवेश कर रहे हैं, तो यह "अमृतकाल" उनके लिए है. उन्होंने कहा कि देश 2047 तक एक विकसित भारत बनने की दिशा में काम कर रहा है और इसमें सिविल सेवकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी. उन्होंने अफसरों से अपील की कि वे इस लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध रहें और जनता के लिए सेवा भाव से काम करें.