21 जुलाई 2025 को भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे गए अपने त्यागपत्र में उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(क) का उल्लेख किया, जिसके तहत उपराष्ट्रपति लिखित रूप में राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पद छोड़ सकते हैं.
धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2022 से अगस्त 2027 तक निर्धारित था, लेकिन उन्होंने कार्यकाल समाप्त होने से दो साल पहले ही पद त्याग दिया. अपने पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद, सांसदों और देशवासियों का आभार व्यक्त किया. धनखड़ देश के तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया है. इससे पहले दो उपराष्ट्रपतियों ने राष्ट्रपति बनने के लिए पद छोड़ा था.
20 जुलाई 1969 को वीवी गिरि ने भी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था. राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति बने और फिर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव जीते.
वेंकटरमण ने 1987 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था. वे जुलाई 1987 से जुलाई 1992 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. धनखड़ का इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के दौरान आया है, जब सरकार और विपक्ष के बीच तनाव चरम पर है. उपराष्ट्रपति के रूप में वे राज्यसभा के पदेन सभापति भी थे और उनकी कार्यशैली पर विपक्ष ने कई बार आपत्ति जताई थी.
धनखड़ के इस्तीफे के साथ ही उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया है. अब संविधान के तहत नया उपराष्ट्रपति चुने जाने की प्रक्रिया शुरू होगी. तब तक राज्यसभा का संचालन डिप्टी चेयरमैन करेंगे.
मोदी सरकार अब राष्ट्रपति से विचार-विमर्श कर नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया शुरू करेगी. इस अचानक खाली हुई संवैधानिक कुर्सी को भरने के लिए राजनीतिक चर्चाएं तेज होने की संभावना है.