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गगनयान की सुरक्षित वापसी का रिहर्सल पूरा! इसरो ने पैराशूट सिस्टम का सफलतापूर्वक किया टेस्ट

इसरो ने गगनयान मिशन के लिए ड्रोप पैराशूट्स के अहम परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं. ये परीक्षण अंतरिक्ष से वापसी के दौरान क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं.

Kuldeep Sharma
Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की दिशा में इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. अंतरिक्ष एजेंसी ने क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित धरती पर उतारने वाले पैराशूट सिस्टम के अहम परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं. 

दिसंबर 2025 में हुए इन परीक्षणों ने यह साबित किया कि गगनयान का डीसिलरेशन सिस्टम अत्यंत कठिन परिस्थितियों में भी भरोसेमंद तरीके से काम करने में सक्षम है. यह सफलता 2026 में प्रस्तावित मानवरहित मिशन की तैयारी को और मजबूत बनाती है.

कहां और कब हुए परीक्षण

गगनयान मिशन से जुड़े ये अहम परीक्षण 18 और 19 दिसंबर 2025 को चंडीगढ़ में किए गए. यह परीक्षण डीआरडीओ की टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी के रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज फैसिलिटी में हुए. इस विशेष सुविधा का उपयोग अत्यधिक गति और दबाव जैसी परिस्थितियों का परीक्षण करने के लिए किया जाता है. इन दो दिनों में किए गए सभी परीक्षण अपने निर्धारित लक्ष्यों पर पूरी तरह खरे उतरे.

क्यों खास हैं ये ड्रोप पैराशूट

ड्रोप पैराशूट गगनयान मिशन के सबसे अहम हिस्सों में से एक हैं. जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में तेजी से प्रवेश करता है, उस दौरान ये पैराशूट क्रू मॉड्यूल की गति को नियंत्रित करते हैं. इसी चरण में यान सबसे ज्यादा अस्थिर और खतरनाक परिस्थितियों से गुजरता है. ड्रोप पैराशूट मॉड्यूल को स्थिर करते हैं और उसकी रफ्तार को सुरक्षित स्तर तक लाते हैं.

कैसे काम करता है पूरा पैराशूट सिस्टम

गगनयान क्रू मॉड्यूल में कुल 10 पैराशूट लगाए गए हैं, जो चार अलग-अलग प्रकार के हैं. सबसे पहले दो एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट खुलते हैं, जो पैराशूट कम्पार्टमेंट के कवर को हटाते हैं. इसके बाद दो ड्रोप पैराशूट खुलते हैं. इनके अलग होने के बाद तीन पायलट पैराशूट क्रम से सक्रिय होते हैं, जो आगे चलकर तीन बड़े मुख्य पैराशूट्स को बाहर निकालते हैं.

सुरक्षित लैंडिंग की कुंजी

मुख्य पैराशूट्स क्रू मॉड्यूल की गति को काफी हद तक कम कर देते हैं, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग संभव हो सके. चाहे पानी में स्प्लैशडाउन हो या जमीन पर टचडाउन, यह सिस्टम यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है. दिसंबर में हुए परीक्षणों का मकसद यह देखना था कि पैराशूट अत्यधिक दबाव और असामान्य परिस्थितियों में भी सही तरीके से काम करते हैं या नहीं.

बहु-एजेंसी सहयोग का नतीजा

इस परीक्षण अभियान में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के साथ-साथ डीआरडीओ की एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट और टीबीआरएल की सक्रिय भागीदारी रही. इसरो ने इसे मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए गगनयान पैराशूट सिस्टम को योग्य ठहराने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है. यह सफलता दिखाती है कि भारत का मानव अंतरिक्ष मिशन मजबूत तकनीक और साझा प्रयासों के दम पर आगे बढ़ रहा है.