नई दिल्ली: भारत ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ा वैश्विक कदम उठाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने WHO ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन के समापन समारोह में ‘आयुष मार्क’ लॉन्च किया.
यह पहल आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों से जोड़ने की दिशा में अहम मानी जा रही है. भारत अब पारंपरिक चिकित्सा को वैज्ञानिक, भरोसेमंद और वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था का मजबूत हिस्सा बनाने की कोशिश कर रहा है.
आयुष मार्क, आयुष मंत्रालय द्वारा जारी किया जाने वाला एक विशेष प्रमाणन लेबल है. यह आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी से जुड़े उत्पादों और सेवाओं को दिया जाता है. इसका मतलब है कि संबंधित उत्पाद या सेवा गुणवत्ता, सुरक्षा और तय मानकों पर खरी उतरती है. यह लेबल उपभोक्ताओं के भरोसे को मजबूत करने और वैश्विक बाजार में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा की पहचान बढ़ाने के लिए बनाया गया है.
आयुष मार्क कोई बिल्कुल नई अवधारणा नहीं है, बल्कि पहले से मौजूद आयुष प्रमाणन प्रणाली का उन्नत रूप है. पहले दो स्तर थे-आयुष स्टैंडर्ड मार्क और आयुष प्रीमियम मार्क. स्टैंडर्ड मार्क भारतीय कानून के तहत गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस पर आधारित था, जबकि प्रीमियम मार्क WHO के दिशानिर्देशों के अनुसार तय किया जाता था. नया आयुष मार्क इन्हीं मानकों को जोड़कर एक वैश्विक पहचान बनाने का प्रयास है.
यह सम्मेलन 17 से 19 दिसंबर 2025 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित हुआ. इसका विषय था- 'स्वास्थ्य और कल्याण में संतुलन की बहाली.' इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ‘माय आयुष इंटीग्रेटेड सर्विसेज पोर्टल’ लॉन्च किया, अश्वगंधा पर डाक टिकट जारी किया और योग प्रशिक्षण पर WHO की तकनीकी रिपोर्ट का विमोचन किया. साथ ही योग के क्षेत्र में योगदान के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार भी दिए गए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पारंपरिक चिकित्सा को साक्ष्य आधारित और जन-केंद्रित स्वास्थ्य प्रणाली का हिस्सा बना रहा है. उन्होंने इस बात पर गर्व जताया कि जामनगर में WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन स्थापित हुआ है. पीएम मोदी के अनुसार, दुनिया ने भारत पर भरोसा जताया है और यह जिम्मेदारी भारत पूरी गंभीरता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से निभा रहा है.
WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने भारत की खुलकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत ने पारंपरिक चिकित्सा को विरासत से निकालकर आधुनिक विज्ञान और नीति से जोड़ा है. आयुष मंत्रालय की स्थापना और जामनगर केंद्र को उन्होंने ऐतिहासिक कदम बताया. WHO के अनुसार, इन प्रयासों से पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्वास्थ्य, शोध और सतत विकास लक्ष्यों से जोड़ने में मदद मिली है.