Gaganyaan Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार सुबह गगनयान मिशन के लिए पहला एकीकृत एयर-ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया. यह परीक्षण श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से किया गया. यह अहम कदम गगनयान मिशन के लिए उस पैराशूट सिस्टम की पुष्टि करने के लिए था, जिसकी मदद से अंतरिक्षयात्रियों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा.
इसरो ने एक बयान में कहा कि गगनयान मिशन के लिए पैराशूट आधारित मंदन प्रणाली के एंड-टू-एंड प्रदर्शन के लिए IADT-01 सफलतापूर्वक पूरा किया गया. यह परीक्षण इसरो, भारतीय वायुसेना, DRDO, भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल का संयुक्त प्रयास है.
यह परीक्षण पूरे पैराशूट सेट की कार्यप्रणाली की जांच के लिए डिजाइन किया गया था. इसमें दो ड्रॉग पैराशूट शामिल थे, जो प्रारंभिक मंदन के लिए लगाए गए. इसके बाद पायलट चूट्स और तीन मुख्य पैराशूट खोले गए, ताकि क्रू मॉड्यूल का सुरक्षित अवतरण और स्प्लैशडाउन सुनिश्चित हो सके. इसरो का कहना है कि यह प्रक्रिया वास्तविक मानव मिशन के दौरान भी अपनाई जाएगी.
मई 2024 में IADT के शुरुआती ट्रायल्स के बाद इसे रोक दिया गया था. उस समय परीक्षण में उपयोग किए जाने वाले हेलीकॉप्टर से जुड़ी कुछ तकनीकी समस्याएं सामने आई थीं, जिन्हें दूर करने के बाद यह परीक्षण दोबारा आयोजित किया गया. अब यह समस्या पूरी तरह हल कर दी गई है. इसरो के सूत्रों के अनुसार, परीक्षण के सभी आंकड़ों का विश्लेषण होने के बाद आगे की टेस्ट योजनाएं तय की जाएंगी.
इसरो की प्रारंभिक योजना सात एयर-ड्रॉप टेस्ट करने की थी. हालांकि, वास्तविक संख्या परीक्षण के नतीजों पर निर्भर करेगी. गगनयान मिशन के तहत इसरो अन्य कई अहम परीक्षण भी कर रहा है. इसमें दूसरा टेस्ट व्हीकल डेमॉन्स्ट्रेशन और पहला अनक्रूड गगनयान मिशन शामिल है. ये परीक्षण भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन का रास्ता साफ करेंगे.
गगनयान मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को नई ऊंचाई देगा. इस मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को स्वदेशी तकनीक की मदद से अंतरिक्ष में भेजना और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करना है. इसरो ने इस मिशन के लिए कई एजेंसियों के साथ तालमेल बैठाया है ताकि सभी पहलुओं को परखा जा सके. रविवार का सफल परीक्षण इस दिशा में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.