Islamic State Warning: विश्व के तमाम देशों की टॉप खुफिया एजेंसियां आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के एलान के बाद हाई अलर्ट पर हो गई हैं. इस्लामिक स्टेट ( आईएस-सेंट्रल) ने दुनियाभर से लोन वोल्फ का आह्वान किया है जो नरसंहार मचाने में आतंकी संगठन के मंसूबों को कामयाब कर सकें. इस्लामिक स्टेट ने यह आह्वान खिलाफत की 10 वीं वर्षगांठ के मौके पर किया है जब लोन वोल्फ अटैक के माध्यम से आतंकी समूह ने सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारा था. इस्लामिक स्टेट ने साल 2014 में रमजान माह में अपनाए गए खलीफा पद के बाद बड़े स्तर पर नरसंहार की घटनाओं को अंजाम दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामिक स्टेट मुहाजिरीन ( विदेशी लड़ाकों) को अपने संगठन में शामिल होने का आह्वान कर रहा है. इस्लामिक स्टेट के स्पोक्सपर्सन अबु हुदायफा अल अंसारी ने अपने बयान में कहा कि खलीफा और खिलाफत की घोषणा ऐतिहासिक थी. अब हम पूरी दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं यहां तक कि अफ्रीकी देश मोजांबिक तक हमने अपनी पहुंच बना ली है.
इस्लामिक स्टेट के प्रवक्ता अंसारी ने मॉस्को अटैक की सराहना की और मुसलमानों से पलायन कर इस्लामिक स्टटे से जुड़ने की अपील की. अंसारी ने कहा जैसा पैगंबर ने कहा कि एक दिन पूरी दुनिया में इस्लाम मजबूत होगा. अल्लाह की कसम अब यह संभव होता नजर आ रहा है. 41 मिनट के अपने ऑडियो स्पीच में इस्लामिक स्टेट के प्रवक्ता आतंकी संगठन अल कायदा के रास्ते से भटक जाने की भी आलोचना की.
अंसारी ने अपने भाषण में कहा कि काफिरों को विस्फोटकों से उड़ा दिया जाए, आग से जला दिया जाए, गोलियों से छलनी कर दिया जाए. काफिरों का गला चाकू से रेत दिया जाए. अंसारी के भाषण में विशेष तौर पर यहूदी और ईसाई समुदाय का जिक्र किया गया है. हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने यहूदी प्रतिष्ठानों, सामुदायिक केंद्रों पर निगरानी बढ़ाने को कहा है.
जनवरी में दिए गए अपने भाषण में अंसारी ने कहा कि यहूदियों और काफिरों के खिलाफ उनकी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि हम उन्हें खत्म नहीं कर देते. आतंकी संगठन के प्रवक्ता अंसारी के बारे में दुनिया की शीर्ष एजेंसियों के पास जानकारी के तौर पर कुछ खास नही है. अबु उमर अल मुजाहिर की पिछले साल अगस्त माह में गिरफ्तारी के बाद अंसारी ने आईएस के स्पोक्सपर्सन का पद संभाला था.
लोन वोल्फ अटैक का इस्तेमाल आईएस के आतंकियों द्वारा किया जाता है. इसमें हमलावर इंटरनेट के माध्यम से आतंकी संगठनों से जुड़े रहते हैं. इस अटैक में पुलिस हमलावर का पता लगाने में काफी मुश्किलों का सामना करती है. रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रकार के हमलों में किसी टीम या बड़े बजट की जरूरत नहीं होती. खुफिया एजेंसियां भी इस तरह के हमलों का जल्द पता नहीं लगा पाती हैं.