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जम्मू-कश्मीर में ‘दरबार मूव’ की वापसी: चार साल बाद जम्मू में लौटी रौनक

जम्मू-कश्मीर में चार साल बाद ‘दरबार मूव’ परंपरा फिर शुरू हो गई है. श्रीनगर से जम्मू शिफ्ट हो रहे सचिवालय और विभागों से शहर में चहल-पहल बढ़ी है. 1872 में शुरू हुई यह परंपरा 2019 में रुकी थी, लेकिन जनता की मांग पर इसे फिर शुरू किया गया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
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Reported By: Raman Saini
Darbar Move tradition returns in Jammu and Kashmir  india daily
Courtesy: @CM_JnK

जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर ‘दरबार मूव’ की ऐतिहासिक परंपरा शुरू हो गई है. चार साल के ठहराव के बाद जम्मू शहर प्रशासनिक हलचल से गुलजार हो रहा है. श्रीनगर से सचिवालय और विभाग जम्मू शिफ्ट हो रहे हैं. कर्मचारियों और अधिकारियों के आने से शहर में रौनक लौट आई है. यह परंपरा जम्मू और कश्मीर को जोड़ने का प्रतीक है, जिसे जनता की मांग पर फिर शुरू किया गया है.  

दरबार मूव की ऐतिहासिक शुरुआत

‘दरबार मूव’ की शुरुआत 1872 में महाराजा रणबीर सिंह ने की थी. इसके तहत सर्दियों में प्रशासनिक राजधानी जम्मू और गर्मियों में श्रीनगर रहती है. यह परंपरा जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है. 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह रुक गई थी. 2021 में इसे स्थायी रूप से बंद करने की घोषणा हुई, लेकिन जन भावनाओं को देखते हुए इसे फिर शुरू किया गया.  

प्रशासनिक तैयारियां और बदलाव

इस बार ‘दरबार मूव’ को आंशिक रूप से लागू किया जा रहा है. प्रशासनिक बैठकें और जनसुनवाई जम्मू में होंगी, जबकि कुछ विभाग हाइब्रिड मॉडल पर काम करेंगे. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सचिवालय 3 नवंबर से जम्मू में काम शुरू करेगा. इस कदम से प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है, जिससे क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी. 

 जम्मू में बढ़ी चहल-पहल

जम्मू शहर में ‘दरबार मूव’ की वापसी से रौनक लौट आई है. नगर निगम और प्रशासन ने सड़कों की मरम्मत, सफाई और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है. स्थानीय लोग इस बदलाव से उत्साहित हैं, क्योंकि इससे व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. होटल और परिवहन क्षेत्र में भी तेजी देखी जा रही है.  

कर्मचारियों में उत्साह

कर्मचारियों में ‘दरबार मूव’ की वापसी को लेकर खासा उत्साह है. कई कर्मचारियों का कहना है कि यह सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर की साझा सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है. यह परंपरा दोनों क्षेत्रों को जोड़ती है और सामाजिक एकता को बढ़ावा देती है. कर्मचारियों का मानना है कि इससे स्थानीय लोगों की समस्याओं का समाधान भी तेजी से होगा.  

आर्थिक लाभ की उम्मीद

‘दरबार मूव’ से जम्मू में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलने की उम्मीद है. इस दौरान व्यापार, होटल उद्योग और परिवहन क्षेत्र में खासी तेजी आती है. स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि प्रशासनिक दफ्तरों के खुलने से बाजारों में रौनक बढ़ेगी. यह कदम न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जम्मू के आर्थिक विकास के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा.