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India Daily

नए साल के अवसर पर भारत का डबल धमाका, एक ही लॉन्चर से दाग दीं दो 'प्रलय' मिसाइल; अब दुश्मन की खैर नहीं!

साल 2025 के आखिरी दिन भारत ने अपनी रक्षा क्षमता का प्रदर्शन किया. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट पर स्वदेशी विकसित 'प्रलय' मिसाइल का ऐतिहासिक साल्वो लॉन्च सफलतापूर्वक किया.

Anuj
Edited By: Anuj
नए साल के अवसर पर भारत का डबल धमाका, एक ही लॉन्चर से दाग दीं दो 'प्रलय' मिसाइल; अब दुश्मन की खैर नहीं!

नई दिल्ली: साल 2025 के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर 2025 को भारत ने अपनी रक्षा क्षमता का प्रदर्शन किया. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट पर स्वदेशी विकसित 'प्रलय' मिसाइल का ऐतिहासिक साल्वो लॉन्च सफलतापूर्वक किया.

लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया

इसका संचालन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सुबह लगभग 10:30 बजे किया गया. इस दौरान डीआरडीओ ने एक ही लॉन्चर से बहुत कम समय के अंतराल पर लगातार दो 'प्रलय' मिसाइलें दागी. दोनों मिसाइलें अपने निर्धारित मार्ग का पालन करते हुए मिशन के सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने में सफल रही. यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि प्रलय मिसाइल दुश्मन को एक साथ भारी नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखती है. 

रक्षा मंत्री ने प्रशंसा की

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना, भारतीय सेना, डीपीएसयू और उद्योग जगत की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि प्रलय मिसाइल के सफल प्रक्षेपण ने इसकी विश्वसनीयता को साबित कर दिया है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह उड़ान परीक्षण उपयोगकर्ता मूल्यांकन परीक्षणों का हिस्सा था.

चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज के ट्रैकिंग सेंसरों ने पुष्टि की कि दोनों मिसाइलों ने अपने निर्धारित मार्ग का पालन किया और सभी उड़ान लक्ष्यों को हासिल किया. मिसाइलों के प्रभाव बिंदुओं पर तैनात जहाजों पर लगे टेलीमेट्री सिस्टम ने भी अंतिम घटनाओं की पुष्टि की.

अलग-अलग लक्ष्य को निशाना बनाने में मदद मिलेगी

जानकारी के अनुसार, प्रलय एक स्वदेशी विकसित ठोस प्रणोदक वाली अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है. इसमें उच्च परिशुद्धता के लिए आधुनिक मार्गदर्शन और नेविगेशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह मिसाइल विभिन्न प्रकार के वारहेड ले जाने में सक्षम है और अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बनाने में मदद करती है.

इसे हैदराबाद स्थित इमारत अनुसंधान केंद्र ने अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, विकास-सह-उत्पादन भागीदारों जैसे भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड व अन्य भारतीय उद्योगों के सहयोग से विकसित किया है.

रक्षा मंत्रालय ने क्या कहा?

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि परीक्षण के दौरान दोनों विकास-सह-उत्पादन भागीदारों द्वारा प्रणालियों को एकीकृत किया गया. डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों, भारतीय सेना और वायु सेना के उपयोगकर्ता प्रतिनिधियों, उद्योग और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की उपस्थिति में यह परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हुआ.

DRDO अध्यक्ष ने दी बधाई

डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी. कामत ने टीम को बधाई दी और कहा कि यह उपलब्धि संकेत देती है कि यह प्रणाली जल्द ही भारतीय सुरक्षा बलों में शामिल होने के लिए तैयार है.इस सफलता ने भारत की मिसाइल तकनीक और रक्षा क्षमता को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित किया है.