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चीन का जवाब देने के लिए भारत ने कर ली पूरी तैयारी, ब्रह्मपुत्र नदी पर 208 हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने की योजना

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CIA) की रिपोर्ट में 208 बड़ी परियोजनाओं का खाका तैयार किया गया है, प्रत्येक परियोजना 25 मेगावाट से ऊपर है और ये अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम जैसे राज्यों में फैली होंगी.

Sagar
Edited By: Sagar Bhardwaj
Brahmaputra river
Courtesy: @IndiaInfra02

भारत ने ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन में कम से कम 208 जलविद्युत परियोजनाएं बनाने की योजना बनाई है, जो चीन के विशाल डैम प्रोजेक्ट का जवाब है. सरकारी अध्ययनों के अनुसार, ये परियोजनाएं 12 उप-बेसिनों में फैली होंगी, जिनकी कुल क्षमता 65,000 मेगावाट होगी. यह कदम ग्लेशियर झील विस्फोट बाढ़ और बाढ़ के खतरों से निपटने के लिए भी है.

दुनिया का सबसे बड़ा डैम बना रहा चीन

चीन का 60,000 मेगावाट वाला डैम दुनिया का सबसे बड़ा होगा, जो भारत की मौजूदा 50,000 मेगावाट क्षमता से भी ज्यादा है. केंद्र सरकार 6.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर 2047 तक 76 जीडब्ल्यू बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखेगी.

चीन का जवाब देने की भारत ने कर ली तैयारी

ब्रह्मपुत्र बेसिन भारत की ऊर्जा सुरक्षा और जल प्रबंधन की रणनीति का केंद्र बन रहा है. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CIA) की रिपोर्ट में 208 बड़ी परियोजनाओं का खाका तैयार किया गया है, प्रत्येक परियोजना 25 मेगावाट से ऊपर है और ये अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम जैसे राज्यों में फैली होंगी.

अरुणाचल में अकेले 52.2 जीडब्ल्यू का अनटैप्ड पोटेंशियल है, जो भारत के 80 फीसदी अनुपयोगी हाइड्रो संसाधनों का बड़ा हिस्सा है. यह योजना न केवल बिजली देगी, बल्कि चीन के ऊपरी डैम से सूखे मौसम में 85 फीसदी पानी की कमी के खतरे को भी कम करेगी. पर्यावरण और स्थानीय समुदायों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए बहु-परियोजना मॉडल अपनाया गया है.

ब्रह्मपुत्र प्रोजेक्ट चीन का 'वाटर बम'

चीन ने जुलाई में तिब्बत के यारलुंग त्संग्पो पर 60,000 मेगावाट का विशाल जलविद्युत प्रोजेक्ट शुरू किया, जो भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है. यह डैम गेलिंग के पास अरुणाचल सीमा के निकट है और पांच कैस्केड डैम्स पर बनेगा.

2030-32 तक पूरा होने पर यह थ्री गॉर्जेस डैम से तीन गुना शक्तिशाली होगा. चीन की मौजूदा हाइड्रो क्षमता 436 जीडब्ल्यू है, जबकि भारत की कुल 50,000 मेगावाट ही है.

अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इसे 'वाटर बम' करार दिया, जो जनजातियों की आजीविका और पारिस्थितिकी को खतरे में डाल सकता है. भारत विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जुलाई में चीन यात्रा के दौरान इसकी शिकायत की.

65,000 मेगावाट क्षमता विकसित करेगा भारत

भारत का लक्ष्य ब्रह्मपुत्र पर 65,000 मेगावाट क्षमता विकसित करना है, जिसमें 4,807 मेगावाट मौजूदा और 2,000 मेगावाट निर्माणाधीन शामिल हैं. योजना में पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज और छोटी परियोजनाएं भी हैं. सबसे बड़ा 11,000 मेगावाट का सियांग अपर मल्टीपरपज प्रोजेक्ट (SUMP) अरुणाचल में प्रस्तावित है, जो एक दशक से स्थानीय विरोध के कारण अटका था.

मई में एनएचपीसी ने सशस्त्र पुलिस सुरक्षा में सर्वे शुरू किया. पीएमओ इसकी निगरानी कर रहा है. यह बहु-परियोजना दृष्टिकोण पूरे नदी तट को कवर करेगा, बाढ़ जोखिमों को कम करेगा और ऊर्जा विविधीकरण सुनिश्चित करेगा. कुल मिलाकर, यह 76 जीडब्ल्यू तक ले जाएगा, जिसमें 11.1 जीडब्ल्यू पंप्ड स्टोरेज होगा.

ब्रह्मपुत्र बेसिन अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक फैला है, जिसमें असम, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड, मिजोरम और सिक्किम शामिल हैं. यह भारत के अनुपयोगी हाइड्रो पोटेंशियल का 80 फीसदी से ज्यादा रखता है. अरुणाचल में 52.2 जीडब्ल्यू की क्षमता अकेले थ्री गॉर्जेस से दोगुनी है.

12 उप-बेसिनों में बांटी जाएंगी 208 परियोजनाएं

सीईए की रिपोर्ट के अनुसार, 12 उप-बेसिनों में ये 208 परियोजनाएं बांटी जाएंगी. वर्तमान में 22 परियोजनाओं से 4.8 जीडब्ल्यू मिल रहा है, जबकि 2035 तक 19.55 जीडब्ल्यू और बाद में 38,586 मेगावाट जुड़ेंगे. यह योजना नॉर्थईस्ट के विकास को गति देगी, रोजगार सृजित करेगी और राष्ट्रीय ग्रिड को मजबूत बनाएगी. लेकिन स्थानीय विरोध और पर्यावरणीय चुनौतियां बाधा बन सकती हैं.

भारत सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्यविदेश मंत्रालय ने 7 अगस्त को कहा कि चीन के डैम पर 'सावधानीपूर्वक निगरानी' की जा रही है. यह ट्रांसबाउंड्री नदी होने से रणनीतिक मुद्दा है, जो कृषि, पारिस्थितिकी और सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है. केंद्र 6.4 लाख करोड़ रुपये का ट्रांसमिशन प्लान बना रहा है, जो 2047 तक 76 जीडब्ल्यू बिजली वितरित करेगा.

गैर-जीवाश्म ईंधन पर 500 जीडब्ल्यू का लक्ष्य 2030 तक और नेट जीरो 2070 तक इसी दिशा में है. अरुणाचल जैसे क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों को शामिल कर विरोध कम किया जा रहा है. यह कदम न केवल ऊर्जा देगा, बल्कि चीन के प्रति मजबूत संदेश भी. भविष्य में सहयोग और निगरानी से जल सुरक्षा सुनिश्चित होगी.