भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया है. यह उपलब्धि हाल के वर्षों में भारत की तेज आर्थिक ग्रोथ को दिखाती है. साल 2014 में भारत 10वें नंबर पर था. 2022 में उसने ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवां स्थान पाया और अब सिर्फ तीन साल में एक और पायदान चढ़ गया.
GDP यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट. इसका मतलब है एक साल में किसी देश द्वारा बनाए गए सभी सामान और दी गई सेवाओं की कुल कीमत. भारत की रैंकिंग नॉमिनल GDP के आधार पर है, यानी मौजूदा बाजार कीमतों पर डॉलर में बदली गई वैल्यू. इससे देश की इकॉनमी का साइज पता चलता है, न कि आम लोगों की अमीरी.
भारत का जापान से आगे निकलना यह नहीं बताता कि भारतीय ज्यादा अमीर हो गए हैं. भारत की आबादी करीब 140 करोड़ है, जबकि जापान में लगभग 12 करोड़ लोग हैं. इतनी बड़ी आबादी में कमाई बंट जाती है. इसी वजह से भारत की प्रति व्यक्ति आय अभी भी कम है और देश लोअर इनकम कैटेगरी में आता है.
पिछले एक दशक में भारत की इकॉनमी लगातार बढ़ी है. 2014 में GDP करीब 2 ट्रिलियन डॉलर थी, जो 2021 में 3 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंची. इसके बाद चार साल में एक ट्रिलियन डॉलर और जुड़ गए. GST, डिजिटल पेमेंट, टैक्स सिस्टम में सुधार और मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस ने इस ग्रोथ को मजबूती दी.
भारत में आज भी बड़ी आबादी अनौपचारिक सेक्टर में काम करती है, जहां नौकरी की सुरक्षा और आय दोनों सीमित हैं. महिलाओं की वर्कफोर्स में भागीदारी भी कम है. इसके अलावा युवाओं के लिए अच्छे और स्थायी रोजगार बनाना बड़ी चुनौती है.
सरकारी और अंतरराष्ट्रीय अनुमान बताते हैं कि आने वाले 2–3 साल में भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़ सकता है. हालांकि असली सफलता तब होगी, जब GDP के साथ साथ आम लोगों की इनकम और लाइफस्टाइल भी बेहतर होगी. फिलहाल, चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना भारत के आर्थिक सफर का एक ऐतिहासिक पड़ाव जरूर है.