भारत की तरक्की के लिए क्यों जरूरी हैं रेअर अर्थ मिनरल्स, जिसके लिए केंद्र सरकार ने 7,280 करोड़ की योजना को दी मंजूरी

भारत सरकार ने 7280 करोड़ रुपये की योजना की मंजूरी दी है, जो रेयर अर्थ पर्मानेंट मैग्नेट्स (REPM) निर्माण को बढ़ावा देगी. योजना 6,000 MTPA क्षमता तक उद्योग को सशक्त करेगी.

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Kuldeep Sharma

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य भारत में रेयर अर्थ पर्मानेंट मैग्नेट्स का निर्माण बढ़ाना है. 7280 करोड़ रुपये की इस योजना से इलेक्ट्रिक वाहनों, एयरोस्पेस, रक्षा और अन्य उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण मैग्नेट्स की घरेलू उत्पादन क्षमता को 6,000 MTPA तक लाया जाएगा. सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि योजना के तहत वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक बोली के जरिए पांच लाभार्थियों को उत्पादन क्षमता आवंटित की जाएगी.

योजना का उद्देश्य और महत्व

इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत में REPM निर्माण को बढ़ावा देना और देश की रणनीतिक इंडस्ट्रीज के लिए आवश्यक मैग्नेट्स का घरेलू उत्पादन सुनिश्चित करना है. इलेक्ट्रिक वाहन, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उद्योगों में इन मैग्नेट्स की मांग लगातार बढ़ रही है. योजना से न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की तकनीकी और औद्योगिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा.

योजना की अवधि और प्रक्रिया

कुल योजना अवधि सात साल की रखी गई है, जिसमें दो साल का गेस्टेशन पीरियड शामिल है. इसके दौरान लाभार्थी एकीकृत REPM निर्माण सुविधा स्थापित करेंगे. शेष पांच साल के लिए बिक्री पर प्रोत्साहन राशि का वितरण किया जाएगा. लाभार्थियों का चयन वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक बोली के माध्यम से किया जाएगा. प्रत्येक चयनित उद्योग को अधिकतम 1,200 MTPA की क्षमता प्रदान की जाएगी.

क्यों महत्वपूर्ण हैं Rare Earth Minerals

Rare Earth Minerals आधुनिक उद्योगों और प्रौद्योगिकी के लिए आधारभूत संसाधन हैं. ये इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, एयरोस्पेस, रक्षा उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में जरूरी घटक के रूप में काम आते हैं. भारत वर्तमान में इनकी अधिकता के लिए आयात पर निर्भर है, खासकर चीन से. घरेलू उत्पादन बढ़ाने से तकनीकी आत्मनिर्भरता मजबूत होगी, आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षित होगी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति बेहतर होगी. यह रणनीति देश को Net Zero लक्ष्यों की ओर भी आगे बढ़ाएगी.

लाभार्थियों के लिए अवसर

योजना के तहत पांच प्रमुख उद्योगों को उत्पादन क्षमता आवंटित की जाएगी. यह उन्हें बड़े पैमाने पर मैग्नेट्स उत्पादन और बाजार विस्तार का अवसर देगा. इससे रोजगार सृजन के साथ-साथ तकनीकी दक्षता में सुधार की उम्मीद है. मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह कदम इलेक्ट्रिक वाहन और रक्षा क्षेत्र के लिए देश में महत्वपूर्ण सामग्रियों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा.

उद्योग और रणनीतिक लाभ

REPM मैग्नेट्स का उपयोग अत्याधुनिक उद्योगों में किया जाता है. इलेक्ट्रिक वाहन मोटर्स, एयरोस्पेस इंजन, मेडिकल उपकरण और रक्षा प्रणालियों में इनकी आवश्यकता होती है. घरेलू उत्पादन से भारत को इन उद्योगों में निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. विशेषज्ञों के अनुसार, यह योजना भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती देने के साथ-साथ महंगे आयात पर निर्भरता को कम करेगी.

योजना का आर्थिक और तकनीकी प्रभाव

7280 करोड़ रुपये की इस योजना से देश की अर्थव्यवस्था में निवेश और औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही, नई तकनीकियों के माध्यम से मैग्नेट्स के निर्माण में दक्षता बढ़ेगी. यह कदम भारत की रक्षा और हाई-टेक इंडस्ट्रीज की जरूरतों को पूरा करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा. योजना से भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त होगा और घरेलू उद्योगों का सशक्तिकरण होगा.