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India Daily

7,280 करोड़ के रेअर अर्थ मिनरल्स स्कीम को कैबिनेट ने दी मंजूरी, चीन के निर्यात प्रतिबंधों के बीच लिया बड़ा फैसला

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास को तेजी देने के लिए लगभग 19,919 करोड़ रुपये की चार बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी. दुर्लभ पृथ्वी स्थायी मैग्नेट (Rare Earth Permanent Magnets) योजना के लिए केंद्र सरकार ने करीब 7,280 करोड़ रुपये का बजट तय किया है.

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Edited By: Anuj
 Rare Earth Permanent Magnet Scheme

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास को तेजी देने के लिए लगभग 19,919 करोड़ रुपये की चार बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी. दुर्लभ पृथ्वी स्थायी मैग्नेट (Rare Earth Permanent Magnets) योजना के लिए केंद्र सरकार ने करीब 7,280 करोड़ रुपये का बजट तय किया है. यह योजना इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. 

चार बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी

इसके साथ ही कैबिनेट ने पुणे मेट्रो विस्तार परियोजना के लिए 9,858 करोड़ रुपये, देवभूमि द्वारका (ओखा)-कनालस रेलवे लाइन के दोहरीकरण के लिए 1,457 करोड़ रुपये और बदलापुर-कर्जत रेलवे लाइन पर तीसरी और चौथी लाइन बिछाने के लिए 1,324 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है.

दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट योजना क्यों जरूरी?

केंद्र सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण कदम ऐसा समय उठाया गया है, जब चीन ने निर्यात नियंत्रण सख्त कर दिए है. दुनिया में दुर्लभ पृथ्वी पदार्थों का सबसे बड़ा नियंत्रण चीन के पास है. चीन वैश्विक दुर्लभ पृथ्वी कच्चे माल का लगभग 60-70 फीसदी और प्रोसेसिंग का 90 प्रतिशत हिस्सा नियंत्रित करता है. चीन द्वारा निर्यात नियमों को सख्त करने के बाद भारत पर दबाव और बढ़ गया. इसी वजह से भारत ने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए यह नई योजना शुरू की है.

किस प्रकार की होगी चुनौती

आपको बता दें कि दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा क्षेत्र में किया जाता है. भारत में इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की चुनौतिया का सामना करना पड़ सकता है. जैसे- सीमित फंडिंग, तकनीकी विशेषज्ञता की कमी, लंबी परियोजना समयसीमा और खनन से जुड़े पर्यावरणीय जोखिम आदि.

चीन से आयात पर निर्भरता कम करने की कोशिश

रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने भारत के लिए सीमित निर्यात लाइसेंस जारी किए हैं, लेकिन अभी तक किसी भारतीय कंपनी को लाइसेंस नहीं मिला. भारत की हर साल करीब 2,000 टन ऑक्साइड की मांग है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार देश में ऐसे उत्पादों के नए विकल्प और तकनीक विकसित करने पर जोर दे रही है.

भारत ने अप्रैल में चीन के नियंत्रण सख्त करने के बाद अपनी सप्लाई चेन विकसित करने में तेजी लाई है. पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 2,270 टन दुर्लभ पृथ्वी धातुओं और यौगिकों का आयात किया, जिसमें से 65% से अधिक चीन से आया. नई योजना के जरिए आने वाले समय में इस आयात को काफी कम करने का लक्ष्य रखा गया है.