भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की उड़ान को लेकर अब नई समयसीमा तय की गई है. इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने स्पष्ट किया है कि मिशन 2025 में नहीं, बल्कि जनवरी 2026 में लॉन्च होगा. यह मिशन भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगा, जिन्होंने अपने दम पर मानव को अंतरिक्ष में भेजा है. इस दिशा में इसरो लगातार प्रगति कर रहा है और मिशन की तैयारियां अंतिम चरण में हैं.
इसरो ने बताया कि गगनयान का पहला बिना क्रू वाला परीक्षण (G1 मिशन) अब जनवरी 2026 में लॉन्च होगा. पहले इसकी योजना 2025 के लिए थी. इस मिशन में अंतरिक्ष यान की सभी अहम प्रणालियों—जैसे क्रू सुरक्षा, पर्यावरण नियंत्रण और री-एंट्री मैकेनिज्म—की जांच की जाएगी. इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य मिशन की 100% सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने जानकारी दी कि गगनयान मिशन के तहत अब तक 8,000 से अधिक परीक्षण किए जा चुके हैं. सभी जरूरी हार्डवेयर इसरो के सतीश धवन स्पेस सेंटर पर पहुंच चुके हैं और इनका इंटीग्रेशन कार्य जारी है. उन्होंने कहा कि मिशन में धीमी गति से लेकिन स्थिर प्रगति हो रही है, ताकि कोई तकनीकी त्रुटि न रह जाए.
गगनयान के मानव मिशन से पहले इसरो तीन बिना क्रू वाले परीक्षण मिशन लॉन्च करेगा. ये मिशन अंतरिक्ष यान के डिजाइन और सुरक्षा मानकों की पुष्टि करेंगे. इसके बाद ही भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. यह चरणबद्ध प्रक्रिया इसरो के दीर्घकालिक मानव स्पेस प्रोग्राम की मजबूती को दर्शाती है.
गगनयान के साथ-साथ इसरो ने भारत की पहली स्पेस स्टेशन—‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’—लॉन्च करने की भी योजना बनाई है, जो 2028 तक तैयार होगी. 2035 तक इसे पाँच मॉड्यूल तक विस्तार देने की योजना है. इसरो का कहना है कि यह देरी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा को नहीं रोकती, बल्कि इसे और मज़बूत बनाती है.
गगनयान मिशन की सफलता भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की श्रेणी में खड़ा करेगी. यह मिशन न सिर्फ तकनीकी उपलब्धि होगी, बल्कि भारत की वैज्ञानिक क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी बनेगा. इसरो का कहना है कि 2027 तक मानव अंतरिक्ष उड़ान भेजने का लक्ष्य तय समय पर पूरा किया जाएगा.